Home
Print
Next
Previous

‘‘देह/अंग दान शरीर से अलग होना सिखाता है’’

अप्रैल 2017 की 15 तारीख को फरीदाबाद (हरियाणा) में देहदानियों का उत्सव (25वां) आयोजित हुआ। आयोजक थे डिपार्टमेन्टआॅफ एनाॅटमी एंड फोरेन्सिक मेडिसिन, एम्प्लाॅइज़’ स्टेट इन्श्योरेन्स काॅर्पोरेशन मेडिकल काॅलेज एंड हाॅस्पिटल, एनएच 3, एनआईटी, फरीदाबाद, हरियाणा-121001। स्थान था धनवन्त्री हाॅल, द्वितीय तल, ईएसआईसी मेडिकल काॅलेज, फरीदाबाद। आयोजन की सहयोगी थी दधीचि देह दान समिति और प्रेरक थे फरीदाबाद क्षेत्र में समिति के संयोजक श्री राजीव गोयल। ईएसआई मेंडिकल काॅलेज फरीदाबाद ने काॅलेज में हुए सभी देहदानियों ने नाम, तिथि दर्शाता एक सम्मान पटल एनाॅटमी विभाग में लगाया हुआ है।

उत्सव में इसकी पूरी जानकारी दी गई कि कैसे संकल्प लिया जाता है, इसकी विधि क्या है और क्या-क्या औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं। बोनमैरो दान को छोड़ कर, अगर देह स्वस्थ है और उसमें कोई विकृति नहीं है तो देह/अंग दान के लिए उम्र की कोई बाध्यता नहीं है। दानियों के परिवारजनों का सम्मान किया गया। प्रथम वर्ष की एक चिकित्सा छात्रा ने एनाॅटमी लैब में अपने पहले दिन के अनुभव को बताया। और, प्रथम वर्ष के छात्रों ंने देह/अंग दान के प्रति प्रेरित करने के लिए लघु नाटिका भी प्रस्तुत की।

श्रीमती सीमा त्रिखा, मुख्य संसदीय सचिव, हरियाणा (गेस्ट आॅफ आॅनर); डाॅ. पी. एल. चैधरी (गेस्ट आॅफ आॅनर), मेडिकल कमिश्नर ईएसआई; डाॅ. विमल भंडारी, निदेशक, नोटो; मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्ट डाॅ. पी. के. जैन; डीन डाॅ. असीम दास; दधीचि देह दान समिति के अध्यक्ष आलोक कुमार और डाॅ. ए. के. पाण्डे ने दीप प्रज्जवलन किया। डाॅ. सार्थक जोशी ने वंदेमातरम् गाया। मंच संचालन डाॅ. प्रियंका शर्मा ने किया।

डाॅ. ए. के. पाण्डे, रजिस्ट्रार ईएसआई एमसी ने बताया कि 2015 से दधीचि देह दान समिति के फरीदाबाद क्षेत्र के संयोजक श्री राजीव गोयल की सक्रियता से देह/अंग दान में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। उन्होंने कहा, एनाॅटमी को अनदेखा नहीं किया जा सकता। चिकित्सा की पढ़ाई का पहला वर्ष डाॅक्टर के ज्ञान की नींव होता है। पहले वर्ष में चिकित्सा छात्र मानव शरीर के एक-एक अंग, एक-एक शिरा, एक-एक कोशिका को बारीकी से पढ़ते हैं, समझते हैं और व्यावहारिक ज्ञान का अनुभव लेते हैं। मृत मानव देह इन विद्यार्थियों की पहली शिक्षक होती है। इसीलिए चिकित्सा विद्यार्थियों की पढ़ाई और चिकित्सा क्षेत्र में नए-नए अनुसंधान के लिए मृत मानव देह का दान महत्वपूर्ण और आवश्यक है। समिति द्वारा कराए गए देह दानों के लिए उन्होंने समिति को धन्यवाद दिया।

चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई करने वाली पहले वर्ष की एक छात्रा डाॅ. शेफाली गुप्ता ने एनाॅटमी लैब में अपने पहले दिन का अनुभव बताया। उन्होंने कहा कि लैब में वहां की गंध नाक में पहुंचने और शव को देखने के बाद वह कुछ समय के लिए चेतनाशून्य हो गई थीं। शव के प्रति उनके मन में सवाल उठे, ‘‘यह कौन है? कहां से आया? क्यों आया? और कौन लाया?’’ डाॅ. शेफाली ने अपील की, ‘‘हमें अध्ययन के लिए मृत देह की बहुत ज़रूरत है। इसलिए आप अपनी देह का अंतिम संस्कार न करें (वी नीड बाॅडी टु स्टडी। डोन्ट टेक योर बाॅडी)।’’

फरीदाबाद में समिति के संयोजक राजीव गोयल ने समिति की स्थापना की प्रेरक कथा बताई। वेदिक काल के महर्षि दधीचि का अपनी अस्थियों का दान समिति की स्थापना की प्रेरणा बना। उन्होंने कहा समिति 20 वर्ष से देह/अंग दान के प्रति दिल्ली और एनसीआर की आम जनता में जागरूकता लाने और देह/अंग दान में उसकी मदद करने का काम कर रही है। उन्होंने देह/अंग दान के महत्व और समिति की कार्य शैली के बारे में विस्तार बताया। श्री राजीव ने जानकारी दी कि अक्टूबर 2015 में ईएसआई मेडिकल काॅलेज, फरीदाबाद की शुरुआत हुई थी और तब से अब तक समिति इसे 8 केडेवर (मृत देह) का दान करवा चुकी है। श्री राजीव ने बताया 17 नवम्बर, 2010 से लेकर 1 जनवरी 2017 तक समिति 157 केडेवर, 500 जोड़ों से ज़्यादा नेत्र, तीन मस्तिष्क मृत दानियों के अंगांे और एक दानी की हड्डियों का दिल्ली और एनसीआर के सरकारी अस्पतालों में दान करा चुकी है। दान के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र और पहचान प्रमाणपत्र ज़रूरी हैं। समिति में अपंजीकृत दानी भी देह/अंग दान कर सकते हैं।

डाॅ. असीमदास, डीन, ईएसआई एमसी ने देह/अंग दान जागरूकता के लिए कार्य करने की शपथ दिलाई। समिति के अध्यक्ष श्री आलोक कुमार, सबसे कम आयु के दानी सातदिन के शिशु और सबसे अधिक उम्र के दानी 77 साल के श्री वीरभान का ज़िक्र करते समय भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि देह/अंग दान आवश्यकता की पूर्ति के लिए है। यह सम्पूर्ण रूप से गहनता में आध्यात्मिक अनुभव है। यह शरीर से अलग होना सिखाता है।

इसके बाद ईएसआई एमसी के चिकित्सा छात्र-छात्राओं ने एक लघु नाटिका प्रस्तुत की। इसके माध्यम से उन्होंने बहुत ही प्रभावशाली तरीके से यह बताया कि देह/अंग दान से मनुष्य अमर हो जाता है और वह किसी अन्य ज़रूरमंद के रूप में जीवित रहता है।
डाॅ. अजय नेने, एचओडी एनाॅटमी ईएसआई एमसी ने धन्यवाद प्रस्ताव में सभी उपस्थित लागों को धन्यवाद दिया और उन्हें देह/अंग दान के लिए समाज को जागरूक करने और संकल्प लेने की याद दिलाई। - इन्दु अग्रवाल