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श्रद्धा सुमन

समर्पण और त्याग पर खड़ी थी उनकी जिंदगी

श्री अशोक गुप्ता

श्री अशोक गुप्ता का 61 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे दिल्ली में किंग्सवे कैंप के निवासी थे । उनके पुत्र गौरव जी से फोन पर बातें हुईं। बहुत आत्मीय और भावुक होकर गौरव जी ने अपने पिता के बारे में विस्तार से बताया। “असमय पिताजी की मृत्यु होने के कारण श्री अशोक गुप्ता पर बहुत कम उम्र में ही पारिवारिक जिम्मेदारियां आ गईं थीं। उन्होंने अपनी मां और भाई-बहनों को अच्छी तरह संभाला और सबको जीवन जीने के योग्य बनाया। विवाह के बाद अपनी गृहस्थी को भी उसी समर्पण भाव से आगे बढ़ाया। उन्होंने अपने पुत्र को सीए की पढ़ाई करवाई और पुत्री को एमबीए पाठ्यक्रम में दाखिला दिलवाया। उनका एकमात्र लक्ष्य था कि उनके बच्चे समाज में अपनी पहचान बनाएं और पढ़-लिखकर स्वाभिमान की जिंदगी जिएं।” उनके परिवार की ओर से जो जानकारी हमें मिली है, उसके अनुसार निधन के बाद अशोक गुप्ता जी के छोटे भाई श्री प्रदीप जी ने नेत्रदान की चर्चा करके परिवार के लोगों के बीच सहमति बनाई। 1 जनवरी, 2022 को अशोक गुप्ता जी के नेत्र, गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। परिवार जनों का इस महादान के लिए साधुवाद! दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम भगवान से विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र - पुत्र श्री गौरव गुप्ता, 99103 18800

A Great Life With Humble Thinking

Mrs. Krishna Hasija

Mrs. Krishna Hasija passed away at the age of 81. She was a resident of Janakpuri, Delhi. Remembering him with respect, his son, Vivek Hasija has written to us- "Smt. Krishna Rani Hasija (15-08-1940 to 04-01-2022) was a humble person who touched many hearts during the course of her life. Born in Pakistan (in undivided India), she moved to Rohtak, Haryana, at the age of 7 and got married at the age of 18 to Shri Ram Chander Hasija. Always thinking ahead of her times, she never ceased to learn and continued to pursue higher education even after the birth of her three kids. She was invariably positive and a pillar of strength for her husband. She managed both, her family life and professional life, with utmost dedication and sincerity and she ensured that the family always stayed together. Everyone was always welcome at her abode and it was a pleasure being in her company. She worked as a librarian for a tenure of 42 years. An avid reader, she was a Book Bank in herself. She used to note down what she read from the Newspaper in a diary. Spending quality time with her grandchildren, she used to share excerpts from this diary and her life experiences. Also, she used to tell stories from the history and mythology of India. She praised us whenever we did good and pointed out our mistakes with her gentle voice, encouraging us to be better and to work hard. She inspired everyone around her to devote time in reading to gain knowledge and thus she passed on the love of learning to her students and family alike. Due to her down-to-earth mannerisms and progressive beliefs, she exemplified the proverb: ‘Simple living and high thinking’. She was a true philanthropist, who was always grateful for all that she had and happily shared her blessings with those in need. Being a teacher at heart, even after her demise, she still gave an opportunity to medical students to gain knowledge from her by donating her poised body for the good of humanity. I truly never learned what the words 'I miss you,' were until I reached for my mom's hand and it was not there." Respecting the wishes of Mrs. Krishna Hasija, her body was donated to Maulana Azad Medical College on 4th January 2022. This is an invaluable gift for students pursuing medical studies. Thanks to the family members for honouring her wish. Dadhichi Dehdan Samiti pays its tributes to the departed soul.

Contact Details - Son-in-law Mr. Rakesh Bhatia, 92137 37555 Son Shri Vivek Hasija, 98995 32631

आदर्शों के धनी और संकल्प के पक्के

श्री हरबंस लाल शर्मा

श्री हरबंस लाल शर्मा ने 86 वर्ष की आयु में 30 जनवरी, 2022 को अपनी इह लीला समाप्त की। वे दिल्ली के पंतनगर में रहते थे। उनकी पुत्री ने उन्हें स्नेह व आदर से उत्साहित होकर उन्हें याद करते हुए फोन पर बताया कि वे आदर्शों के धनी और संकल्प के पक्के थे। हरबंस लाल शर्मा की धेवती ने भी अपनी यादों को कुछ इस प्रकार शब्द दिए हैं–

“The unsung hero of this first of people's success is 'My NANA JI'. 'It's never too late to realise' is a well said thought, but I felt something different today to thank our teacher, MY NANA JI, who taught us religious beliefs, moral values, social attitude, punctuality and getting up early (which i always logged in) and used to get scolding from and especially the pet dialogues like one day before exam 'mat ghabra uss paper main jisse pehle ek raat hai' (which were and are the actual moral boosters) and now I pass the same dialogues to the next generation. The bench mark you have set after leaving us is commendable.. REST IN PEACE NANA JI”

उनका देहदान का संकल्प कोविड के कारण क्रियान्वित नहीं हो सका। गुरु नानक आई सेंटर की टीम ने ससम्मान उनके नेत्र दान में स्वीकार किए। परिवार का अभिवादन इस महादान के लिए! दिवंगत आत्मा की शांति के लिए दधीचि परिवार प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र - श्रीमती सुरुचि आर्य, 98734 84948

An Inspiration To All

Shri Jyoti Prakash Garg

Shri Jyoti Prakash Garg was passed away at the age of 66. He was a resident of Uttam Nagar, Delhi. His son has sent us information about him in his own words- "Sh. Jyoti Prakash Garg born on 02.12.1951 recently left us for heavenly abode few days back. He was an inspiration to all. A robust athletic in his young days, he aimed to live as a fit and active person till the end days of his life and motivated others to be the same. Enrolled in NCC, he aspired to join army but life took him another way. He worked hard to support his big family as the eldest son and was truly ambitious in his pursuit of work. Even with minimum wages, he was a kindred soul who helped and supported everyone in his vicinity. His spiritual journey started at the age of .... which truly changed in life. Under Radha Swami Satsang Umbrela, he consistently served the society in various ways. As the time proceed, his meditation and working with community gave him a new outlook of life. He became more empathetic towards society and became a pious soul celebrated by many." On February 3, Mr. Jyoti Prakash's eyes were donated to Guru Nanak Eye Centre. Thanks to the family members for the implementation of this great donation. We pray for the peace of the departed soul.

Contact No. - Son, Shri Sanjeev Garg, 98734 38308

उत्साह के साथ जनसेवा की बात

श्री भगवानदास चावला

श्री भगवानदास चावला का 7 फरवरी, 2022 को 88 वर्ष में निधन हो गया। वे दिल्ली के पीतमपुरा में रहते थे। उनके पुत्र ने अपने पिताजी के व्यक्तित्व की चर्चा बहुत आदर से की- "वह एक सामाजिक व्यक्ति थे। समाज में किसी की पुत्री की शादी हो, कोई बीमार हो गया हो या फिर कोई सामाजिक आयोजन हो, या कोई धार्मिक आयोजन, सब जगह वह स्वयं से आगे बढ़कर उत्साह से भाग लेते थे। लायंस क्लब के सेवा कार्यों में भी वह उत्साह से लग जाते थे और साथ में हमें भी लेकर जाते थे। गरीब और असहाय लोगों की अक्सर मदद करते। क्षय रोगियों के आश्रमों में भी जाते थे।" उन्होंने देहदान का संकल्प लिया था और एक पत्र अपने बेटे को देकर कहा था कि मेरे मरने के बाद ही इसे खोलना। उस पत्र में अपनी देहदान के संकल्प को उन्होंने दृढ़ता से लिखा था। उनकी इच्छा का सम्मान करने के लिए परिवार जनों का अभिवादन! आर्मी मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले छात्रों के उपयोग के लिए उनका पार्थिव शरीर दान किया गया। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा के प्रति सादर नमन और श्रद्धांजलि!

संपर्क सूत्र - पुत्र श्री सुरेंद्र चावला, 93502 69899

मानवता की सेवा में एक अमूल्य योगदान

श्री राम मोहन मित्तल

दिल्ली के कालकाजी एक्सटेंशन निवासी श्री राम मोहन मित्तल ने 8 फरवरी,2022 को परलोक गमन किया। वह 65 वर्ष के थे। उनके पुत्र ने फोन पर उनके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताईं- "श्री राम मोहन मित्तल, राधा स्वामी सत्संग से जुड़े हुए थे। सत्संग में नियमित जाते थे। वहीं से उन्हें नेत्रदान के लिए प्रेरणा मिली।" परिवार ने मरणोपरांत उनके नेत्र दान करके मानवता की सेवा में एक अमूल्य योगदान दिया है। परिवार जनों का साधुवाद! समिति परिवार दिवंगत आत्मा को सादर श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र - पुत्र श्री हेमंत मित्तल,99715 75197

सेहतमंद समाज की चिंता करते हुए

श्रीमती सुदर्शन गुलाटी

श्रीमती सुदर्शन गुलाटी ने 95 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वे दिल्ली में विकासपुरी की निवासी थीं। उनके पुत्र ने बहुत आदर और गर्व के साथ अपनी माताजी को याद करते हुए फोन पर उनके विषय में चर्चा की- "बचपन से ही वह आर्य समाज में सक्रिय थीं। भजन लिखना और गाना उन्हें बहुत प्रिय था। उनका जीवन बहुत नियमित था। उन्होंने स्वस्थ जीवन जिया और समाज में सबको इसके लिए प्रेरित भी किया। उन्होंने स्वयं देहदान का संकल्प लिया था, जो कोविड-19 के कारण संभव न हो सका।" परिवार ने 9 फरवरी, 2022 को मरणोपरांत उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर को दान में दिए। मानवता की सेवा के लिए इस महादान का प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए समिति, परिवार का अभिवादन करती है। ईश्वर से हमारी विनम्र प्रार्थना है कि वे दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र - पुत्र श्री राजेश गुलाटी, 98912 90700

समाज के लिए एक प्रेरक उदाहरण

श्री खेमचंद खुराना

श्री खेमचंद खुराना ने 83 वर्ष की आयु में 12 फरवरी, 2022 को अपने नश्वर शरीर का त्याग किया। वे दिल्ली के द्वारका में रहते थे। उनके पुत्र से फोन पर उनके विषय में कई जानकारियां मिलीं- "वे सीनियर सेकेंडरी स्कूल से अध्यापक पद से वर्ष 1998 में सेवानिवृत्त हुए थे। उन्हें बागवानी, समाज सेवा, आध्यात्मिक पुस्तकों को पढ़ने और सत्संग का शौक था। दूसरों की मदद के लिए वह हमेशा तत्पर रहते थे। वर्ष 1986 में वे राधा स्वामी सत्संग व्यास (संस्था) से जुड़े थे। वहीं से उन्हें देहदान के लिए प्रेरणा मिली और उनको अपना पूरा शरीर दान करने की इच्छा हुई। उनके शब्द हमें आज भी प्रेरणा देते हैं। वह अक्सर कहते थे- 'मरने के बाद यह शरीर जलकर राख होना है या मिट्टी में खाक हो जाना है। तो क्यों न मरने के बाद भी यह शरीर किसी के काम आए?' दधीचि देह दान संस्था के सहयोग से वर्ष 2005 में उन्होंने देहदान का संकल्प फार्म भरकर अपनी इच्छा हमें बताई थी।" उनकी इस अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए परिवार ने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज को उनका पार्थिव शरीर दान किया। चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए यह एक अमूल्य उपहार है। समाज में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार का साधुवाद! दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र - पुत्र श्री सुनील खुराना, 98116 00650

आध्यात्मिक जिंदगी, आस्थावान सोच

श्रीमती उमा अरोड़ा

श्रीमती उमा अरोड़ा ने 15 फरवरी, 2022 को 77 वर्ष की आयु में अपनी जीवन लीला समाप्त की। वह नोएडा में रहती थीं। उनके पुत्र ने बहुत आदर और गर्व के साथ उनके विषय में फोन पर चर्चा की- "वे शिक्षित थीं और उनका व्यक्तित्व लोगों को प्रभावित करता था। परिस्थितियां कैसी भी हों, सभी की मदद करने के लिए वह हमेशा तत्पर रहती थीं। श्रीमती उमा की जिंदगी पर आध्यात्मिक प्रभाव भी था। वह आस्थावान थीं। विपरीत परिस्थितियों में अडिग रहना उनकी आदत थी। अंतिम दिनों में वह कुछ समय के लिए वॉकर और व्हीलचेयर पर रहीं, पर कभी उनकी मुस्कान कम नहीं हुई।" परिवार जनों ने मरणोपरांत उनके नेत्रदान का क्रियान्वयन कराकर मानवता की सेवा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। उनके नेत्र आरपी सेंटर (एम्स) की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। परिवार जनों का अभिवादन! ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र- पुत्र श्री अतुल अरोड़ा, 84477 26726

सरल स्वभाव में परोपकार की छांव

श्री नेभराज आर्य

श्री नेभराज आर्य का 83 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे गुड़गांव में रहते थे। जून, 2018 में अपनी पत्नी के देहदान के समय उन्होंने भी परिवार में अपने देह दान की इच्छा व्यक्त की थी। उनके पुत्र ने फोन पर उनके बारे में हमें बताया- "25 वर्ष पूर्व उनकी ओपन हार्ट सर्जरी हुई। उसके बाद से उन्होंने स्वस्थ और सक्रिय जीवन जिया। वह शांत और सरल स्वभाव के थे। आर्य समाज के कार्यक्रमों में उत्साहपूर्वक भाग लेते थे। नियमित हवन करते थे।" परिवार ने उनकी देह दान की इच्छा का सम्मान किया। चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में 23 फरवरी, 2022 को उनका पार्थिव शरीर दान किया गया। समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार का साधुवाद! ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें। दधीचि परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि!

संपर्क सूत्र - पुत्र श्री बलदेव, 95829 11785