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देह्दानियों का 39 वाँ उत्सव, फरीदाबाद, 17 मार्च 2019

दधीचि देह दान समिति की फरीदाबाद इकाई के तत्वावधान में देहदानियों का 39वां उत्सव रविवार 30 जून को प्रातः 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। के. एल. मेहता दयानंद महिला कॉलेज में होने वाले इस उत्सव में मानवता के लिए मरणोपरांत देह-अंग दान कर चुके दानियों के परिवारों का सम्मान एवं 150 से भी अधिक महानुभावों द्वारा देह-अंग दान का संकल्प करने के लिए प्रमाण पत्र एवं वसीयत वितरित किए गए। ‘जीवेम शरदः शतम’ के मंत्रोच्चार से दीप प्रज्जवलन करके विशिष्ट अतिथियों के सम्मान के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ|

महर्षि दयानंद शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष श्री आनन्द मेहता जी ने अपने स्वागत सम्बोधन में बताया कि जीतेजी रक्तदान और मरने के बाद देहदान ही महादान है| उनके जगदीश आर्य जी ने भी देहदान किया था| शायद 75 वर्ष की आयु के बाद देहदान के बारे में सोचा जा सकता है, ऐसा उनका मानना कम उम्र के संकल्पकर्ताओं ने झुठला दिया है| महर्षि दयानंद शिक्षण संस्थान के बारे में बताते हुए उन्होंने बताया कि 15 स्कूलों में 6000 बच्चे पढ़ते हैं| महिला कॉलेज में 4200 बच्चियां पढ़ रही हैं| संस्थान 1 जुलाई को गोल्डन जुबिली वर्ष में प्रवेश कर रही है|

फरीदाबाद के प्रमुख उद्योगपति और समाजसेवी व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री अरुण बजाज ने महर्षि दधीचि के रूप में बैठे संकल्पकर्ताओं को साधुवाद दिया| उन्होंने बताया कि मृत मानव देह मैडिकल छात्रों को पढाई के काम आती है, अतः लोगों को इसके लिए आगे आना चाहिए| इसके बाद दधीचि देहदान समिति के महासचिव कमल जी ने अपने प्रियजन का देह-अंग दान कर चुके दानी परिवारों का सम्मान कराया|

कवियित्री डॉक्टर दुर्गा सिन्हा ने अंगदान देहदान को महादान बताया और इस विषय पर अपनी दो रचनाएँ सुनाई| डॉ. हेमंत अत्री ने अपना अनुभव साझा किया कि कैसे गलत समय पर परिवार को ब्रेनडेड परिजन का अंगदान करने के लिए कहना उन्हें भारी पड़ गया था| जंगल की आग अपनी चोंच में पानी भरकर बुझाने में लगी चिड़िया की कहानी सुनाकर उन्होंने उपस्थित लोगों को देह-अंग दान के यज्ञ में अपनी आहुति देने के लिए प्रेरित किया| उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति से दो लोगों को इसके लिए प्रेरित करने के लिए आवाहन किया|

विषय प्रस्तुति करते हुए डॉ. अजय नेने, एनाटोमी विभागाध्यक्ष, ई एस आई मैडिकल कॉलेज, ने बताया कि छात्रों को पहले वर्ष में मृत देह पर एनाटोमी पढाई जाती है| देश में 580+ मैडिकल कॉलेजों में हर वर्ष 65000 छात्र आते हैं| अगर 10 छात्रों के लिए भी एक बॉडी मानकर चले तो 6500 मृत देहों की आवश्यकता हर वर्ष होगी| अभी तो उनके कॉलेज में देह दान दधीचि देह दान समिति के माध्यम से हो रहा है| कॉलेज में एनाटोमी लैब के बाहर एक सम्मान पटल लगाया है जिस पर देह्दानियों के नाम व तारीख अंकित हैं| छात्रों से उसके आगे सम्मान दिलाया जाता है| अब तो एम सी आई ने भी पाठ्यक्रम में ‘कैडेवर एस माय फर्स्ट टीचर’ का पाठ रखकर सम्मान दिया है|

देह्दानी यशपाल मोंगिया जी की बेटी श्रीमती सुनीता मल्होत्रा ने रक्तदान-नेत्रदान-देहदान को सबसे बड़ा दान बताया| उन्होंने गुरुकुल में माताजी के देह दान से प्रेरित होकर कई वर्ष तक देहदान के लिए कोशिश की और फिर दधीचि देह दान समिति का पता लगने पर माता-पिता सहित देहदान का संकल्प लिया| पिता का तो देहदान कर दिया, पर क्योंकि उन्हें जलाया नहीं गया तो उन्हें लगता है कि वो शायद अब भी कहीं आस पास ही हैं| अब माता जी कहती हैं कि उनकी देह अब अमानत है मैडिकल कॉलेज की, जिसे उन्हें ठीक रखना है|

गायत्री परिवार ग्रीन फील्ड कॉलोनी फरीदाबाद से एक नाटक के माध्यम से बाल कलाकारों की टीम (दीक्षिता, आनन्या, रितिका, कृष्णा, आशना, पृषा, अनवी, शोर्या, डॉक्टर तीजवंती पूर्णिया और डॉक्टर लीना सिन्हा) ने नेत्र, अंग और देह दान की महिमा व महत्व समझाया|

समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मल्होत्रा जी नाटक का उल्लेख करते हुए कहा कि छोटे बच्चे भी देह-अंग दान का सन्देश दे सकते हैं| देहदान में धार्मिक अवधारणायें रूकावट हैं| पेड़ भी अपने फलों का दान करते हैं तो मानव क्यों अंगों का दान करने में पीछे रहे| देश में प्रतिवर्ष 5 लाख लोग अंग प्रत्यारोपण के इंतज़ार में काल का ग्रास बन जाते हैं| अगर सभी लोग नेत्रदान करें तो सिर्फ 11 दिनों में देश अन्धतामुक्त हो सकता है|

ब्रह्मकुमारी पूनम बहन ने कहा कि शरीर परमात्मा के द्वारा सेवा के लिए दिया गया है| अतः जीवन काल में शान्ति का दान दें, अच्छी वाणी बोलें, अच्छे कर्म करें और सामने वाले को सुख दें| इसीलिए जीतेजी देहदान का संकल्प लेना ही श्रेयस्कर है| हमारे अंगदान से दूसरे को जीवन मिलता है तो हमें अगले जनम में निरोगी काया मिलेगी| सिकंदर भी खाली हाथ गया था, पर हम अपने साथ पुण्य का फल लेकर जाते हैं|

खास बात यह रही कि मानवता को समर्पित डी.सी.पी. राजेश चेची, निर्मला चेची और दीपांशु चेची तीनों ने एक ही परिवार से देहदान का संकल्प लिया| विहिप के श्री रमेश चन्द गुप्ता सहित 16 भरे हुए फॉर्म वहीँ प्राप्त हुए| श्री गंगा शंकर मिश्रा-आरएसएस के हरियाणा संपर्क प्रमुख, डॉ. सुभाष जैन-अध्यक्ष वर्धमान महावीर सेवा सोसाइटी, श्री दिनेश गर्ग-अध्यक्ष आरडब्लूए सैक्टर 19, श्री नानक चन्द अग्रवाल-अध्यक्ष वैश्य विकास मंच, श्री मोहन लाल अरोड़ा-शक्ति सेवा दल, श्री ओम प्रकाश छाबड़ा-गोपाल गौशाला, डॉ. एस.के. गर्ग- डीन श्रीराम कॉलेज, श्री दुली चन्द अग्रवाल-अग्रवाल सभा, श्री जे.पी. अग्रवाल-ए.पी. सीनियर सेकेंडरी स्कूल, श्री सीताराम मित्तल-अध्यक्ष भारत विकास परिषद्, श्री रमेश गुप्ता-गोपाल गौशाला, सुश्री नीरा तोमर-बीजेपी, प्रो. आलोक दीप- अध्यक्ष हरियाणा महिला कल्याण समिति, श्री नागेश सिंह-अध्यक्ष लोहिया जागृति मिशन, श्री बी.बी. कथूरिया-सेक्रेटरी रेड क्रॉस सोसाइटी, श्री राकेश भाटिया व श्री संजीव ग्रोवर-अध्यक्ष व महामंत्री बन्नुवाल वेलफेयर एसोसिएशन, आदि सहित लगभग 600 लोग इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए|


मंच संचालन श्री विकास भाटिया ने किया और धन्यवाद प्रस्ताव श्री नरेंद्र बंसल ने दिया| उत्सव को सार्थक बनाने के लिए समिति की टीम में नरेन्द्र बन्सल, विकास भाटिया, हेमंत अत्री, संजीव गुप्ता, बी आर सिंगला, अर्चना गोयल, हनीश भाटिया, आशीष मंगला, सुनीता बन्सल, संगीता बंसल, गुलशन भाटिया, सरोज बाला, वी के बन्सल, सुरजीत सिंह, तेजिंदर चोपड़ा, राकेश माथुर, नीरू जी, सुरिंदर गुप्ता, मंजू प्रभा, राजीव गोयल, कमल खुराना, आदि सहित फरीदाबाद, और दिल्ली से महेश पन्त, दीपक गोयल, योगेन्द्र अग्रवाल, डी.के. वर्मा, सुधीर गुप्ता, अविनाश वर्मा, महेंद्र चौधरी, आदि ने सहयोग किया।