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श्रद्धा सुमन



महामंडलेश्वर स्वामी अनुभूतानंद जी महाराज

सादर नमन ......

12 मार्च 20 21 को हमारे मार्गदर्शक पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी अनुभूतानंद जी महाराज अपनी मानव देह त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए । स्वामी जी जीवन पर्यंत समाज में सनातन धर्म की सेवा में लगे रहे । मानवीय मूल्यों की बारीकियां अपनी मधुर वाणी से सुना कर समाज को जागृत करते रहे । दधिचि देह दान समिति को हमेशा उनका आशीर्वाद मिला । समिति के अनेकों उत्सवों में उन्होंने उपस्थित रहकर समाज को देह दान का महत्व बताया व सरल शब्दों में, हिंदू धर्म में भी इसकी स्वीकार्यता को बढ़ाने का सफल प्रयास किया । समिति सदा इनकी ऋणी रहेगी । पूज्य स्वामी जी के द्वारा दिखाए मार्ग पर चलने के लिए समिति सर्वदा प्रतिबद्ध है ।

ओम् शांति



स्वर्गीय आशीष मंगला

अत्यंत दुःखद समाचार, समाज के लिए अपूर्णीय क्षति.....ओह, हमारा एक कर्मठ अति ऊर्जावान सदैव तत्पर समाज सेवी सहज, सरल, बहुत ही प्यारा एवं सहृदय साथी हमसे 5 मई को आगे बढ़ गया।

हम स्तब्ध हैं, किसी भी तरह यकीन ही नहीं हो पा रहा है।

ईश्वर की मर्जी... हम निरीह हैं... परमात्मा उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें और परिवार को इस दारूण दुख सहने का साहस और शक्ति।

ॐ शांति ॐ.



स्वर्गीय सोनिया सेठी

भावपूर्ण श्रद्धांजलि

कोरोना महामारी की चपेट में आकर जीवन- मरण का संघर्ष करते-करते 7 मई को सोनिया जी ने दुनिया से विदा ली । सरल सहज मुस्कान के साथ अपने बहुत सारे रिश्तो को, छोटी आयु में ही निभा कर चली गई । दधीचि परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है ।

श्री राधेश्याम गुप्ता


श्री राधेश्याम गुप्ता का 72 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया । वे शक्ति नगर, दिल्ली में रहते थे । उनके पुत्र श्री विष्णु गुप्ता ने बहुत आदर से अपने पिताजी को याद करते हुए बताया कि उनका सादगी पूर्ण जीवन परिवार के लिए हमेशा प्रेरणा देने वाला रहा। उनकी स्वयं की भावनाओं में व कार्यशैली में ईमानदारी रची बसी थी । इन्हीं संस्कारों के साथ उनका परिवार भी आगे बढ़ रहा है । स्व. राधेश्याम ने 1965 में उत्साह पूर्वक आर्मी में अपनी सेवाएं देनी शुरू की। परिवार की परिस्थितियों के कारण उन्हें 7 साल में अपना कार्यक्षेत्र बदलना पड़ा । फुटवियर का व्यापार शुरु किया और पूरी इमानदारी से अपना काम करते रहे। लगभग 4 वर्ष पूर्व दधीचि के एक कार्यक्रम में उपस्थित रहकर उन्होंने स्वतः प्रेरणा से देहदान का संकल्प लिया था। कोरोना काल के चलते उनका देहदान तो संभव नहीं हो सका । 5 जनवरी को उनकी मृत्यु के बाद, गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान उनके नेत्र दान मे लेकर गई । परिवार जनों का साधुवाद जिन्होंने समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। समिति दिवंगत आत्मा की शांति के लिए विनम्र प्रार्थना करती है।

संपर्क सूत्र - पुत्र, श्री विष्णु गुप्ता 9810902404

श्री जनक राज अरोड़ा


श्री जनक राज अरोड़ा का 60 वर्ष की आयु में निधन हुआ । वे रोहिणी में रहते थे । उनके भाई ने स्नेहपूर्वक उनके विषय में फोन पर बात की। वे अकेले रहते थे। हर किसी की सहायता में हरदम तैयार रहना उनका स्वभाव था । स्वयं से आगे बढ़कर सब के काम आते थे। राधा स्वामी सत्संग से जुड़े हुए थे। गुरुद्वारे जाकर भी नियमित अपनी सेवा देते थे। उन्होंने स्वयं से देहदान अंगदान का संकल्प लिया हुआ था। । परिवार जनों ने उनके संकल्प का सम्मान करते हुए स्व. जनक राज के नेत्र 6 जनवरी को गुरु नानक आई सेंटर में दान किए। मानवता की सेवा के लिए किए गए इस पुण्य कार्य के लिए परिवार साधुवाद का पात्र है । दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र -भाई, श्री राकेश अरोड़ 98 990 17481

श्री शुभकरण संचेती


श्री शुभकरण संचेती ने 82 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वे गांधी नगर, दिल्ली में रहते थे। उनके पुत्र ने अपने पिताजी के विषय में अपने भाव, अपने शब्दों में इस प्रकार भेजे हैं-

" स्व . शुभकरण जी संचेती, सुपुत्र स्व . लाल चंद जी संचेती की एक गांधीवादी नेता के रूप में ख्याति थी । सरल , स्पष्ट वादी , वाकपटु, परिश्रमी एवं निस्वार्थ सेवा भावी के रूप में उनकी पहचान थी । खद्दर की धोती, कुर्ता एवं टोपी उनकी पोशाक होती थी । परिवार के लोग भी उन्हें नेताजी कहकर संबोधित करते थे । अपने इरादे के पक्के, भगवान शिव के अनन्य भक्त । जीवन पर्यंत प्रत्येक सोमवार का व्रत किया एवं लगातार हर सावन मास में, 60 साल की उम्र तक कलकत्ता से दक्षिणेश्वर 25 किलोमीटर, पैदल कांवड़ कंधे पर लेकर जाना, भोले बाबा को चढ़ाना - उनका क्रम रहा । अपने माता - पिता की अक्लांत भावों से सेवा करने वाले पुत्र को श्रवण कुमार कहें तो कोई अतिशयोक्ति न होगी । मगर उन्होंने अपने जीवन में किसी से सेवा नहीं ली । अंतिम समय तक अपना कार्य स्वयं ही करते थे । पिछले 20 वर्षों से प्रतिदिन 6 सामायिक करना उनका परम लक्ष्य रहा । ऐसी पुण्य आत्मा ने अपने नेत्रदान कर किसी के जीवन को ज्योतिर्मय बना दिया ।

उज्जवल और अभिनव उनके दोनों ही पोते निरंतर उनसे स्नेह व संस्कार लेते रहे। 16 जनवरी को स्व. शुभकरण के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई । मानवता की सेवा में किए गए इस पुण्य दान के लिए परिवार जन साधुवाद के पात्र हैं। समिति की ईशचरणों में विनम्र प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे ।

संपर्क सूत्र- पुत्र, श्री नितिन संचेती 931356 3947

श्रीमती कृष्णा देवी


ग्रेटर फरीदाबाद निवासी, श्रीमती कृष्णा देवी ने 16 जनवरी को अपनी लीला समाप्त की । वे 90 वर्ष की थी। उनके पुत्र ने फोन पर बात करते हुए, बहुत सम्मान से अपनी माता जी को याद किया । उनके भोजन की मात्रा बहुत कम थी, जिस कारण वे आजीवन स्वस्थ रहीं। परिवार जनों ने उन्हें कभी किसी प्रकार के शारीरिक कष्ट में नहीं देखा। स्व. कृष्णा देवी ने अपने जीवन काल में, पारिवारिक रिश्तो की गरिमा को बखूबी निभाया। परिवार में, उनके दामाद ने देह- अंगदान का संकल्प लिया हुआ है। उसी से प्रेरित होकर परिवार में इस विषय की चर्चा होती थी। परिवार जनों ने स्व. कृष्णा देवी की पार्थिव देह के दान का निर्णय लेकर समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद । मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए इस देह का सदुपयोग किया जाएगा । समिति दिवंगत आत्मा के प्रति अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त करती है।

संपर्क सूत्र- पुत्र, श्री जितेंद्र कुमार मेहता 98717 32844

श्रीमती रामदुलारी


श्रीमती रामदुलारी ने 90 वर्ष की आयु में अपनी जीवन लीला पूर्ण की । वे लाजपत नगर में रहती थी । उनके पुत्र से बात होने पर पता चला कि 24 जनवरी को उनकी मृत्यु के बाद परिवार जनों ने ही नेत्रदान का निर्णय लिया । मानवता के लिए किए जाने वाले इस महादान के लिए परिवार का साधुवाद। गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान स्व. राम दुलारी के नेत्र दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे।

संपर्क सूत्र- पुत्र, श्री गुलशन चानन 98112 18032

श्रीमती कुसुम लता बंसल


श्रीमती कुसुम लता बंसल ने 74 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया । वे चावड़ी बाजार, दिल्ली की निवासी थी। अपनी गृहस्थी को सुचारु रुप से चलाने वाली सरल महिला थी। धार्मिक कार्यों में उनकी विशेष रुचि रहती थी। नियमित रूप से दोपहर में भागवत सुनना उन्हें विशेष रूप से प्रिय था। उनके पति उनकी मीठी यादें संजोए बताते हैं कि संभवतः उनका धर्म कर्म ही था कि उन्होंने संसार से विदा लेते समय भी, न किसी को कष्ट दिया और ना ही स्वयं कष्ट पाया। मृत्यु से 2 दिन पूर्व उन्होंने आग्रह पूर्वक अपने पति को याद दिलाया कि उनकी आंखें दान होनी चाहिए। अगले दिन दोबारा से अपनी नेत्रदान की बात दोहराई । उनकी इस इच्छा का सम्मान करते हुए स्व. कुसुमलता के पति ने 26 जनवरी को मरणोपरांत उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर में दान कर दिए। परिवार का साधुवाद इस नेक काम के लिए। दिवंगत आत्मा को ईश्वर अपने श्री चरणों में स्थान दे।

संपर्क सूत्र -पति, श्री विजय बंसल 89290 12039

श्री राकेश अरोड़ा


रामप्रस्थ, गाजियाबाद निवासी श्री राकेश अरोड़ा 50 वर्ष की आयु में ही परलोकगमन कर गए। स्वभाव से सबकी सहायता को तत्पर रहने वाले स्व.अरोड़ा के परिवार में उनकी पत्नी व दो बेटियां हैं । दुख की इस विकट घड़ी में भी नेत्रदान का निर्णय करके परिवार ने मानवता के लिए अपनी संवेदना का परिचय दिया है । समाज में एक अनुकरणीय कार्य करने के लिए परिवार का आभार व साधुवाद। गुरु नानक आई सेंटर की टीम 3 फरवरी को, ससम्मान स्व. राकेश के नेत्र दान में लेकर गई । हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे।

संपर्क सूत्र- पत्नी, श्रीमती सुनीता अरोड़ा 92836 40701

श्रीमती प्रेमवती


श्रीमती प्रेमवती का 84 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया । वे गुजरांवाला टाउन, दिल्ली में रहती थी । उनके पुत्र ने आदर पूर्वक उन्हें याद करते हुए बताया कि वे एक धार्मिक व पारिवारिक महिला थी । उनका परिवार "शिव योग "से जुड़ा हुआ है । समाज सेवा के कार्यों में वे दान के द्वारा जुड़ी रहती थी। स्व. प्रेमवती नारायण सेवा संस्थान, उदयपुर की एक नियमित दानदाता थी। इन्हीं दान भावनाओं से जुड़ी हुई ही यह भावना भी रही कि मरने के बाद, शरीर का, कहीं भी कुछ भी हिस्सा काम आ जाए । परिजनों का साधुवाद । 7 फरवरी को गुरु नानक आई सेंटर की टीम, ससम्मान स्व. प्रेमवती के नेत्र दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

संपर्क सूत्र- पुत्र, श्री विद्यासागर 92127 97252

श्रीमती शीला देवी


श्रीमती शीला देवी ने 89 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। वे किनारी बाजार, दिल्ली की निवासी थी। उनके पुत्र से फोन पर बात हुई। उन्होंने आदर पूर्वक अपनी माता जी के विषय में चर्चा की । परिवार में सभी ने देहदान- अंगदान का संकल्प लिया हुआ है । स्व.शीला देवी का जीवन बहुत गरीबी से शुरू हुआ । उनकी अपनी शिक्षा भी बहुत ही कम हुई थी। इतना सब होने पर भी अपनी दूरदर्शी सोच के बल पर उन्होंने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा व संस्कार देकर आगे बढ़ाया । सनातन धर्म के अनुसार, सभी रीति-रिवाजों की जानकारी रखने के कारण, अपने परिवार में वह हर सुख-दुख के अवसर पर आगे बढ़ कर अपना योगदान देती थी। परिवार जनों का साधुवाद। उन्होंने 11 फरवरी को स्व. शीला देवी के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर में दान किए। मानवता की सेवा में यह एक प्रेरक व अनुकरणीय उदाहरण है । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे।

संपर्क सूत्र- पुत्र, श्री राकेश गुप्ता 98 11035 362

श्रीमती सुमित्रा देवी


श्रीमती सुमित्रा देवी ने 92 वर्ष की आयु में अपनी जीवन लीला समाप्त की। वे रोहिणी में रहती थी। आर्य समाज के विचारों को जीवन में जीने वाला इनका परिवार, पीढ़ियों से समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाए हुए है। स्वर्गीय सुमित्रा देवी, कई वर्षों तक महिला आर्य समाज, रमेश नगर में कोषाध्यक्ष व मंत्राणि के पद पर रहकर कई सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती रही। बाद के वर्षों में सेक्टर 7 रोहिणी के आर्य समाज से जुड़कर, दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत व आदर्श बनी हुई थी। दैनिक यज्ञ द्वारा, नित्य अपने घर परिवार के वातावरण को यज्ञमय व सुगंधित बनाती रही। उन्होंने लगभग 23 वर्ष तक दिल्ली नगर निगम के आयुर्वैदिक औषधालयों में चिकित्सक सहायिका के रूप में अपनी सेवाएं दीं। उनके पुत्र ने बताया कि उनका देहदान का संकल्प करोना की परिस्थिति के कारण संभव नहीं हो सका। 15 फरवरी को स्व. सुमित्रा देवी के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई । मानवता की सेवा में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार जनों का अभिवादन । हम दिवंगत आत्मा की को सादर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं ।

संपर्क सूत्र -पुत्र, श्री आर्षव्रत ऋषि 98 1157 0262

श्री मोहन बिहारी सक्सेना


गाजियाबाद क्षेत्र के वैशाली मंडल के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता, श्री अखिल सक्सेना के पिताजी श्री मोहन बिहारी सक्सेना का निधन हो गया। उन्होंने दधीचि देहदान समिति के माध्यम से नेत्रदान का संकल्प लिया हुआ था। उनके सुपुत्र श्री अखिल सक्सेना ने पिता की इच्छा का सम्मान करते हुए शाइन इंडिया फाउंडेशन, कोटा के माध्यम से उनका नेत्रदान करवाया । यह नेत्रदान आई बैंक ऑफ राजस्थान में किया गया। उनकी पुत्रवधू श्रीमती संध्या सक्सेना (जो समिति के गाजियाबाद क्षेत्र की सह संयोजिका है) ने स्व. मोहन सक्सेना के विषय में सादर लिखित जानकारी भेजी है-

श्री मोहन बिहारी सक्सेना जी ने ३५ वर्ष तक भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में सीनियर साइंटिस्ट के पद पर रह कर देश कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सेवानिवृत हो कर उन्होंने भारत विकास परिषद में प्रदेश अध्यक्ष एवं कोषाध्यक की भूमिका में जन कल्याण के लिए बहुत से कार्य किए। कोटा में परिषद के अस्पताल को बनाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।

कोटा गैजेटेड ऑफिसर्स पेंशनर्स सोसायटी एवम पर्यावरण संरक्षण सोसायटी का निर्माण भी उनके नेतृत्व में हुआ। उनका जीवन सदैव ही दूसरों के लिए समर्पित रहा और देश एवम समाज कल्याण में उन्होंने अभूतपूर्व योगदान दिया।

परिवार देहदान अंगदान के प्रति समाज में चेतना लाने का कार्य पूरे मनोयोग से कर रहा है । ऐसे परिवारों का हम सम्मान करते हैं। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए समिति परिवार ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करता है ।

संपर्क सूत्र -पुत्रवधू, श्रीमती संध्या सक्सेना 986817 28 29

श्री अशोक मल्होत्रा


60 वर्ष की आयु में श्री अशोक मल्होत्रा का देहावसान हुआ। वे रमेश नगर, दिल्ली में रहते थे। वे अविवाहित रहे व अपने भाई के परिवार के साथ थे । उनके भतीजे ने स्नेह पूर्वक याद करते हुए बताया कि उन्हें हंसना हंसाना बहुत अच्छा लगता था। सबकी मदद करते थे और यही सीख भी देते थे। उनके जीवन का मूल मंत्र था "हंसते रहो और भला करो "। उनके जीवन को मृत्यु के बाद भी सार्थक करते हुए परिवार जनों ने मानवता की सेवा के लिए नेत्रदान का निर्णय लिया। परिवार साधुवाद का पात्र है। 22 फरवरी को स्व. अशोक मल्होत्रा के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे।

संपर्क सूत्र- भतीजा, श्री रोहित 83840 74838

श्रीमती रेणु जैन


श्रीमती रेणु जैन का 62 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया । वे जैन कॉलोनी दिल्ली 7, की निवासी थी । उनकी बेटी ने फोन पर बात करते समय बताया कि वह बहुत सरल व नम्र थीं । हर व्यक्ति की मदद के लिए हमेशा तैयार रहती थी । शांति से अपने नियमित धर्म-कर्म में लगी रहती थी। उनका भरा पूरा,तीन स्वावलंबी बच्चों का परिवार है । उन्होंने स्वयं से देहदान अंगदान का संकल्प लिया हुआ था। परिवार जनों ने उनके संकल्प का सम्मान करते हुए, उनके नेत्र 22 फरवरी को गुरु नानक आई सेंटर में दान किए। मानवता की सेवा मे किए गए इस दान के लिए परिवार का अभिवादन । ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें, ऐसी हमारी प्रार्थना।

संपर्क सूत्र- पुत्र, श्री सनी जैन 9899 40 7433

श्री डी . डी . सिंगल


श्री डी.डी. सिंगल का 78 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह रोहिणी में रहते थे । उनकी बेटी ने उनके बारे में सम्मान पूर्वक हमें लिखित संदेश भेजा है

“Sh Dau Dayal singhal, was a man of principles, from the great land of Agra in Utter Pradesh.

Started his career as a commerce teacher, and reached to the Principal's designation at Vaish College, Rohtak (Haryana) and authored several course books in his journey.

He believed in simple living with high thinking and was a staunch supporter of the woman education. Teaching was not just a career, but a passion for him.

He earned a very high Goodwill, regard and respect as a Guru among his students.

He lived a satisfied life with highly postive thoughts and honest believes.

He will always be remembered for the warmth and positivity he used to maintain and spread amongst everyone connected to him.”

2 मार्च को गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान स्व. दाऊ दयाल के नेत्र दान में लेकर गई। समाज में इस महादान का एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार जनों का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे ।

संपर्क सूत्र -पुत्री, श्रीमती अर्पणा जैन 98101 21293

श्री सतराम दास


श्री सतराम दास ने 70 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की । वे मोती नगर, दिल्ली में रहते थे । उनके परिवार से फोन पर संपर्क करके कुछ जानकारी प्राप्त की । उन्होंने अपने जीवन में आर्थिक दृष्टि से बहुत संघर्ष किया । बड़ा परिवार था । संघर्ष करते हुए भी उन्होंने अपने परिवार को निरंतर जोड़ कर रखा । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में उनकी उपस्थिति रहती थी। 2 मार्च को उनके शरीर शांत होने पर उनके धेवते ने नेत्रदान के विषय में चर्चा करके परिवार की सहज सहमति बनाई। परिवार के इस निर्णय के लिए परिवार जनों का साधुवाद। गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान स्व. सतराम दास के नेत्र दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें । समिति परिवार की ओर से सादर श्रद्धा सुमन।

संपर्क सूत्र -धेवता, श्री राघव 85878 65712

श्रीमती सामला जैन


श्रीमती सामला जैन 78 वर्ष की आयु में परलोक सिधार गई । वे विश्वास नगर, दिल्ली में रहती थी। उनके पुत्र से फोन पर हुई बातचीत के आधार पर पता चला कि उन्हें मंदिरों से बहुत लगाव था। हर मंदिर के नाम का अलग दान, उन्होंने अंतिम दिनों में निश्चित करके अपने बेटे को बताया था। उनका नेत्रदान का भी संकल्प अपना ही था। इस विषय में वह बात करती रहती थी । 2 मार्च को उनका देहांत होने पर परिवार जनों ने उनके नेत्रदान का निर्णय करके समाज में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। गुरु नानक आई सेंटर की की टीम स्व. सामला जैन के नेत्र ससम्मान दान में लेकर गई। मानवता की सेवा के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करने के कारण परिवार अभिवादन का पात्र है। समिति परिवार, ईश चरणों में निवेदन करता है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें ।

संपर्क सूत्र- पुत्र, श्री प्रवेश जैन 98999 53781

श्रीमती मंजू अग्रवाल


श्रीमती मंजू अग्रवाल का 65 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ । वे करोल बाग, दिल्ली की निवासी थी। 6 मार्च को स्व. मंजू के नेत्र, गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई । इस पुण्य दान के लिए परिवार जनों का अभिवादन । स्व. मंजू के परिवार ने भावपूर्ण शब्दों में अपनी माता जी के लिए श्रद्धांजलि लिख कर भेजी है-

" माँ " और " मातृत्व " मात्र एक शब्द ही नहीं अपितु सम्पूर्ण ग्रन्थ हैं | " लालन - पालन " एवं " गृह संचालन " मात्र एक क्रिया नहीं बल्कि पूरा तंत्र है | यह समझ मानव जीवन में जिस किसी को भी आती है, वह माँ और उसके मातृत्व का रसास्वादन कर पाता है | माँ का जाना किसी भी घर का संचालन तंत्र का बिखर जाना होता है | हमारी माँ ने हमारे बिखरे परिवार तंत्र की बागडोर संभाली और अपना जीवन कर्म निभाया |

परिवर्तन संसार का शाश्वत सत्य है | परिवार बढ़ते हैं और उनके संचालन की बागडोर दूसरी पीढ़ी को संभलवा दी जाती है | आनेवाली पुत्रवधु इस तंत्र को संचालित करती है | यही हमारी सामाजिक परम्परा है | इस परम्परा का निर्वाह कर हमारी माँ इस संसार से विदा हुई |

ईश्वर की सबसे सुन्दर और विशिष्ट कृति यह मानव देह नश्वर है | हमारा प्रियजन, हमें छोड़कर संसार से विदा होता है तो यह देह और इसकी विशिष्टता पंचतत्व में विलीन हो जाती है | परन्तु माँ की आँखे मरणोपरान्त भी इस संसार में न केवल जीवित रहें, अपितु अँधेरे जीवन में प्रकाश का समावेश कर एक और परिवार तंत्र समृद्ध करें | इस भावना के साथ हमारी बहन ने हमें नेत्र दान का सुंदर विचार प्रेषित किया |

आज हमारी माँ और उनका मातृत्व उनकी आँखों के रूप में इस संसार में कम से कम एक परिवार को प्रकाशमान कर रहीं हैं | हमारे परिवार ने उन्हें इस संसार में मृत्यु के पश्चात भी उनके नेत्रों के माध्यम से जीवंत रखा है |

ईश्वर हमारी माँ को अपने चरणों में स्थान प्रदान करें | उनकी आँखें इस संसार में अपना वात्सल्य प्रसारित करें |

ॐ शांति !!

विशाल - शुभा - मधुर अग्रवाल

विकास - निधि - रिया - आदित्य अग्रवाल ”

ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे ।

संपर्क सूत्र- पुत्र, श्री विशाल अग्रवाल 9313 8356 38

हरि ओम सिंह जी


हरि ओम सिंह जी का 64 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ । वे बृशंज विहार, गाजियाबाद के निवासी थे। उनकी पत्नी ने आदर पूर्वक उन्हें याद करते हुए बताया कि वे भारतीय योग संस्थान व गायत्री परिवार से जुड़े हुए थे। योग व यज्ञ में लगे रहते थे। मधुर स्वर के धनी स्व.हरि ओम शांति पूर्वक अपनी दिनचर्या में लगे रहते थे । अपने सामाजिक दायरे में लोग उन्हें स्वामी जी कहकर पुकारते थे। उनकी पत्नी ने रुंधे गले से कहा कि मैं भी उन्हें स्वामी जी ही कहने लग गई थी। सज्जन पुरुष थे। पंजाब नेशनल बैंक में क्लर्क से शुरू होकर मैनेजर के पद तक पहुंचे। निरंतर मानवता की सेवा में लगा रहने वाला व्यक्तित्व मरणोपरांत अपने देह नेत्रदान का संकल्प भी कर गया। कोरोना की परिस्थिति के कारण उनका केवल नेत्रदान ही संभव हो सका। गुरु नानक आई सेंटर की टीम 9 मार्च को, मरणोपरांत उनके नेत्र दान में लेकर गई। समाज में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए परिवार जनों का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे।

संपर्क सूत्र -पत्नी, श्रीमती श्रीदेवी 79 0605 2661

श्रीमती उषा जैन


श्रीमती उषा जैन ने 73 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया । वे कृष्णा नगर, दिल्ली में रहती थी । उनके पुत्र ने फोन पर बात करते समय बहुत आदर से उन्हें याद किया । वे धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी । जैन मंदिर, कृष्णा नगर की गतिविधियों में उनकी सक्रिय भूमिका रहती थी । उन्होंने स्वयं से नेत्रदान के लिए संकल्प लिया हुआ था। परिवार जनों ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए 10 मार्च को, मरणोपरांत उनके नेत्र दान करवाने का सफल प्रयास किया । गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान उनके नेत्र लेकर गई । समाज सेवा के इस अनुकरणीय कार्य के लिए परिवार जनों का अभिवादन। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र- पुत्र, श्री नीरज जैन 98105 94468

श्री राम जी दास


श्री राम जी दास का 92 वर्ष की आयु में देहांत हुआ । वे शकूरबस्ती, दिल्ली के निवासी थे। वे आर. एस. एस. के समर्पित कार्यकर्ता थे । आर .एस. एस. के केंद्रीय कार्यालय, केशव कुंज में उन्होंने 12 वर्ष अपनी सेवाएं दी। संघ ही उनके लिए जीवन था । देहदान- अंगदान का उन्होंने संकल्प लिया हुआ था। परिस्थितिवश केवल नेत्रदान ही संभव हो पाया। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित 10 मार्च को उनके नेत्र दान में लेकर गई। परिवार ने उनके संकल्प को आदर पूर्वक पूर्ण किया और समाज में एक प्रेरणास्पद उदाहरण प्रस्तुत किया । हम परिवार का अभिवादन करते हैं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें, ऐसी हमारी विनम्र प्रार्थना।

संपर्क सूत्र- पुत्र, श्री दिनेश 99580 99574

श्रीमती प्रभा सिंह


श्रीमती प्रभा सिंह का 72 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ। वे गुरुग्राम में रहती थी । उनकी बहन से फोन पर उनके विषय में बातचीत हुई। उन्होंने छत्तीसगढ़ के डीएवी स्कूल मे अध्यापिका के रूप में काम शुरू किया और प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुई । उन्होंने 50 वर्ष का वैवाहिक जीवन परस्पर पूरक व सहयोगी भाव से सुख पूर्वक बिताया । पति-पत्नी दोनों ने ही देहदान-अंगदान का संकल्प लिया और अपने बच्चों को अपनी इच्छा भी आग्रह पूर्वक बताई। "सादा जीवन उच्च विचार" उनके जीवन का आदर्श था। वे एक अच्छी टीचर और कुशल प्रशासक के साथ-साथ परिवार के प्रति समर्पित थी। उन्हें जानवरों से भी बहुत प्यार था। घर पर ही उन्होंने 2 पालतू बिल्ली भी रखी हुई थी। 7 अप्रैल को उनके देहावसान के बाद परिवार जनों ने इस दुखद घड़ी में भी उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए दधिचि देहदान समिति से संपर्क किया। परिवार जनों का साधुवाद । उनका पार्थिव शरीर एम्स में मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया। मानवता की सेवा में किया गया यह दान चिकित्सा शास्त्र के छात्रों के प्रथम गुरु के रूप में उपयोगी रहेगा। समिति की ओर से हम दिवंगत आत्मा के लिए सादर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

संपर्क सूत्र- बहन, श्रीमती प्रतिभा 98187 73383

श्रीमती विमला लाल


पटेल नगर निवासी, श्रीमती विमला लाल का 80 वर्ष की आयु में निधन हुआ । उनके पुत्र ने आदर पूर्वक अपनी माता जी के लिए कुछ श्रद्धा के शब्द लिखकर भेजे हैं-

“8 अप्रेल सन् 2021 को 80 वर्ष की आयु में श्रीमती विमला लाल जी का स्वर्गवास हुआ । उनके पति श्री श्याम सुन्दर लाल संसद सदस्य रह चुके हैं तथा वर्तमान में वे एक्स एम . पी . एसोसियेशन के अध्यक्ष हैं । श्रीमती विमला लाल एक संपन्न भरे पूरे परिवार की जागरूक सदस्य रहीं । परिवार में सभी उच्च शिक्षित तथा उच्च पदों पर आसीन हैं ।

वे भारतीय समाज में नेत्रदान को लेकर फैली भ्रांतियों से परिचित थीं एक प्रकार से उन सभी अंधविश्वासों से ऊपर उठ कर उन्होंने स्वेच्छा से न केवल नेत्रदान का फैसला लिया था बल्कि सामाजिक और चिकित्सा अध्ययन के क्षेत्र में मिसाल कायम करते हुए देह - दान का निर्णय भी लिया था । परिवार ने उनके इस निर्णय का स्वागत किया व उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए निधन के तुरन्त बाद नेत्रदान टीम और देह - दान टीम को सूचित किया ।

निसंदेह ही वे समाज के लिये जीते जी भी एक आदर्श रहीं थीं और मृत्यु के समय भी एक उच्च आदर्श स्थापित कर गईं । “

देह दान व नेत्रदान का एक अनुकरणीय कार्य करने के लिए परिवार का हम सादर अभिनंदन करते हैं । स्व. विमला की पार्थिव देह एम्स के ट्रामा सेंटर व नेत्र गुरु नानक आई सेंटर में दान किए गए । ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

संपर्क सूत्र- पुत्र, श्री अनिरुद्ध लाल 98111 89098

श्री सचिन गर्ग


श्री सचिन गर्ग का 36 वर्ष की अल्प आयु में ही निधन हो गया । वे विवेकानंद नगर, गाजियाबाद के निवासी थे । उनके भाई ने बताया कि वह बहुत हंसमुख स्वभाव के थे। निरंतर समाज सेवा में लगे रहते थे। अखिल भारतीय अग्रवाल संगठन और व्यापार मंडल में उनकी विशेष सक्रियता थी । प्रिय जन के जाने की दुखद घड़ी में भी नेत्रदान का साहसिक निर्णय लेकर परिवार ने साधुवाद का कार्य किया है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

संपर्क सूत्र- भाई, श्री प्रदीप गर्ग 98911 63434

श्री शिव प्रताप वत्स


श्री शिव प्रताप वत्स का 77 वर्ष की आयु में देहांत हुआ । वे साहिबाबाद में रहते थे । उनके पुत्र से फोन पर उनके विषय में बातचीत हुई । वे दधीचि के सक्रिय कार्यकर्ता थे । स्वाभाविक रूप से वे स्वयं भी एक संकल्पित दान दाता थे । समाज सेवा के कार्यों में निरंतर लगे रहते थे । समाज एकजुट हो कर रहे इस दिशा में वे प्रयासरत थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में साहिबाबाद के संघचालक का दायित्व भी उनके पास रहा। परिवार प्रबोधन की योजना में उनका विशेष सहयोग था । परिवार ने 4 मई को उनके देहावसान के बाद उनकी इच्छा व उनके कर्तृत्व का सम्मान करते हुए, उनके नेत्रदान करके समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार साधुवाद का पात्र है । राजेंद्र प्रसाद आई सेंटर, एम्स की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई । हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे।

संपर्क सूत्र -पुत्र, श्री विजय वत्स 87458 45700

श्रीमती राजदुलारी


श्रीमती राजदुलारी का 95 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ । वे आई.पी. एक्सटेंशन, दिल्ली में रहती थी । उनकी बेटी ने फोन पर उनके विषय में कुछ जानकारियां दी। उन्हें अच्छा खाना खाने का शौक था और आजीवन वे पूरी तरह स्वस्थ रहीं। दान करना व सब की मदद करना उनका विशेष गुण रहा । अक्सर अपनी गृहस्थी में व्यस्त रहती थीं। आर्य समाज के विचारों वाली होने से नियमित हवन में उनकी श्रद्धा रहती थी। हर शुभ कार्य में हवन करना उनके लिए अनिवार्य था। स्वयं से उन्होंने अपनी देह दान की इच्छा का संकल्प लिया हुआ था। कोरोना की परिस्थिति वश उनका नेत्रदान ही संभव हो पाया । 4 मई को उनकी मृत्यु के पश्चात, समिति ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए, आर.पी. सेंटर, एम्स में उनके नेत्रदान की व्यवस्था की। समाज में एक अनुकरणीय कार्य करने के लिए परिवार का हम अभिवादन करते हैं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे ।

संपर्क सूत्र- पुत्री, श्रीमती कृष्णा मलिक 991026 1444

श्रीमती सविता


रोहिणी निवासी श्रीमती सविता का 85 वर्ष की आयु में परलोक गमन हुआ । उनकी बेटी से सहज वार्तालाप में उनके विषय में बातचीत हुई। उन्होंने बताया कि उनके संबंधी स्व. अनिल मित्तल के अंगदान की घटना के बाद उनकी माता जी को देहदान के लिए प्रेरणा मिली। वे बहुत दृढ़ता पूर्वक कहती थी कि मरने के बाद यह शरीर किसी प्रकार का भी सेवा का माध्यम बन सके तो अवश्य बनाना। वे बहुत खुले विचारों की थी । धर्म-कर्म में भी उनकी श्रद्धा रहती थी। कोरोना की परिस्थिति के कारण उनके केवल नेत्रदान ही संभव हो सके । परिवार ने उनकी इच्छा का सम्मान कर के समाज में एक प्रेरणास्पद उदाहरण प्रस्तुत किया है। हम परिवार का अभिवादन करते हैं । समिति परिवार प्रार्थना करता है कि दिवंगत आत्मा को ईश्वर अपने श्री चरणों में स्थान दे।

संपर्क सूत्र -पुत्री, सुश्री रेखा शर्मा 9711 93 5175