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जनसाधारण, आयुष के सिद्धांतो का पालन कर, स्वस्थ शरीर प्राप्त कर सकते हैं |

वैद्य राजेश कोटेचा, सचिव, आयुष मंत्रालय, से कोरोना महामारी के दौरान आयुष मंत्रालय व आयुष पद्धितियों के योगदान पर एक चर्चा

  1. कोरोना महामारी में आयुष मंत्रालय भारत सरकार ने बहुत सराहनीय कार्य किये है, कृपया कुछ महत्त्वपूर्ण कार्यो की जानकारी दें?

    कोरोना महामारी के राष्ट्रीय स्तर पर प्रबंधन में विज्ञान सम्मत विभिन्न विभागों के आपस में संबंधित अनुसंधान और जन स्वास्थ्य सेवा के माध्यम से आयुष मंत्रालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है-

    वर्तमान कोविड-.19 महामारी के प्रबंधन के लिए आयुष मंत्रालय ने आयुष प्रणाली के पंजीकृत चिकित्सकों के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं। आयुष मंत्रालय की ओर से जारी निवारक उपायों, सेल्फ केयर या स्वयं की देखभाल के नीतिगत मामलों से संबंधित दिशा निर्देश आदि ने कोरोना वायरस महामारी के प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान किया है! पिछले साल कोविड- 19 की महामारी की रोकथाम के लिए आयुर्वेद और योग पर आधारित राष्ट्रीय क्लीनिकल प्रबंधन प्रोटोकॉल जारी किया गया था! कोविड प्रबंधन के लिए गठित संयुक्त टास्क फोर्स ने पुनरीक्षित किया था और पोस्ट कोविड प्रबंधन दिशा निर्देश डीजीएचएस के साथ एकीकृत दिशा निर्देश भी भारत सरकार ने जारी किए थे!

    आयुष मंत्रालय और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने संयुक्त रूप से 33,000 आयुष मास्टर ट्रेनर तैयार किए हैं। कुल 66045 आयुष कर्मियों ने निरंतर आधार पर आईजीओटी या ऑनलाइन प्रशिक्षण प्लेटफॉर्म पर प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

    कोविड.19 की रोकथाम के लिए आयुष हेल्थ केयर सिस्टम की भूमिका को जन मानस में प्रचारित करने और आयु रक्षा किट का वितरण भी आयुष मंत्रालय कर रहा है!

    अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान नई दिल्ली ने भी आयुष के निवारक उपायों की जानकारी प्रदान करने के लिए एक आयुष कोविड हेल्पलाइन केंद्र भी स्थापित किया, जिसका हेल्पलाइन नंबर 01126950401, एक्सटेंशन 3003 है । हेल्पलाइन सोमवार से शुक्रवार तक सुबह 9 बजे शाम 5.00 बजे तक और शनिवार को सुबह 9 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक उपलब्ध रहती है!

     आयुष और सीएसआईआर की सहभागिता के माध्‍यम से कोविड-19 के रोकथाम और प्रबंधन के लिए चार आयुर्वेदिक औषधियों पर अनुसंधान किया गया है । इनमें अश्वगंधा को रोग की रोकथाम के रूप में तथा यष्टिमधु, गुडूची + पिप्पली एवं आयुष-64 का उपचार में एड-ऑन (add-on) के रूप में अध्ययन किया गया। आयुष-64 पर किये गये बहुकेन्द्रीय अध्ययन में पाया गया कि कोविड-19 के रोगी स्टैंडर्ड केयर की तुलना में शीघ्र स्वस्थ हुए। साथ ही, सामान्य स्वास्थ्य, भूख, नींद तथा तनाव आदि में आयुष-64 के सकारात्मक परिणाम देखे गये। इस अध्ययन में आयुष-64 क्लीनिकल तथा प्रयोगशाला मानकों पर सुरक्षित पायी गयी। अन्य तीन औषधियों के अध्ययनों के परिणामों की भी अंतिम रिपोर्ट तैयार की जा रही है ।

    साथ ही आयुष-64, गुडुची घन वटी, पिप्पली योग, अश्वगंधा , शुंठी योग आदि आयुर्वेदिक औषधियों को लक्षण रहित, थोड़े लक्षण से मध्यम लक्षण वाले रोगियों में ऐड ऑन उपचार के रूप में अध्ययन किया गया । इनमें आयुर्वेदिक उपचार लेने वाले रोगियों में शीघ्र स्वास्थ्य लाभ,अस्पताल में रहने का समय का कम होना, आयुर्वेदिक उपचार लेने वाले रोगियों में आरटीपीसीआर रिपोर्ट का शीघ्र नेगेटिव होना तथा व्‍याधि की तीव्रता न बढ़ना आदि लाभ पाये गए।

    आयुष मंत्रालय ने कोविड.19 के खिलाफ लड़ाई में अपनी सभी गतिविधियों की जानकारी प्रदान करने के लिए कोविड.19 के लिए अपनी वेबसाइट पर एक डैशबोर्ड शुरू किया है।

  2. कोरोना की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए आयुष मंत्रालय ने भविष्य की क्या योजनाएं बनाई हैं?

    कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर के लिए आयुष मंत्रालय ने कुछ महत्त्वपूर्ण कदम उठाये हैं, जैसे- आयुष मंत्रालय ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को अपने बुनियादी ढांचे यानी भारत भर में लगभग 727 कॉलेज और उनके अस्पतालों और ओपीडी के उपयोग के मामले में भी पूर्ण समर्थन दिया है ताकि इस मानव संसाधन का उपयोग क्वारंटीन और कोविड -19 रोगियों की देखभाल किया जा सके और ये आयुष स्वास्थ्य पेशेवर, पैरा मेडिक्स आदि कोविड -19 की रोकथाम-इलाज में स्वाथ्य सेवाओं के ढांचे को सदृढ़ कर सकें।

    कोविड.19 मामलों के लिए परामर्श पर आम जनता की सहायता के लिए एक कोविड 19 परामर्श हेल्पलाइन नंबर 14443 की स्थापना की है। यह हेल्पलाइन सप्ताह में सातों दिन सुबह 6 बजे से रात 12 बजे तक 18 घंटे काम करती है

  3. क्या सभी चिकित्सा पद्धतियो का एक दिशा में संयुक्त रूप से कार्य करना संभव है ?

    विश्व की सभी चिकित्सा पद्धितियों को मुख्य उद्देश्य है चिकित्सा अथार्त रोग निवारण. | सभी चिकित्सा पद्धितिया अपने अपने सिद्धांतो के अनुसार रोगियों की चिकित्सा करती है | परन्तु आयुष पदधादियो की विशेषता यह है कि इनमे रोग निवारण के साथ- साथ रोगो से बचाव तथा स्वस्थ रहने के उपाय भी बताये गए जिसकी महत्वता आज के आधुनिक परिपेक्ष में ज्यादा है | अनुचित खान-पान, रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी तथा जीवन शैली से होने वाले रोगो की संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है जिनके लिए आयुष पद्धितियों अत्यधिक लाभप्रद है | जैसे होम्योपैथी बच्चो के लिए सुगम्य होने के करना ज्यादा उपयोगी है वही आयुर्वेद, सिद्ध जीर्ण रोगो में ज्यादा उपयोग होती है |

    वही एलॉपथी में भी एमर्जेन्सी दवा, शल्य क्रियाये आदि विशेताएं है | अगर सभी चिकित्सा पद्धतिया एक दिशा में सयुंक्त रूप से कार्य करें तो पहुंचने से रोका जा सकता है | अतः अब समय है कि सभी चिकित्सा पद्धतिया एक दुसरे को सहक्रियात्मक रूप से सहयोग कर समाज को स्वाथ्य एवं रोग रहित बनाने का हर संभव प्रयास करे|

  4. स्वस्थ सबल भारत के लिए जनसाधारण को कैसी जीवनशैली / दिनचर्चा का अनुसरण करना सहायक है ?

    स्वस्थ सबल भारत के लिए जनसाधारण को आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्चा का पालन करना चाहिए | प्रतिदिन करने वाले कर्म जैसे अभयंग, नस्य, अंजन , व्यायाम ,सद्वृत तथा आचार रसायन आदि दिनचर्या में सम्मिलत है | आयुर्वेद में ऋतुचर्या अथात छ : ऋतुओ के अनुसार से आचरण करने का विधान बताया गया है | हर ऋतु के हिसाब से आयुर्वेद में दिनचर्चा , खान-पान आदि के बारे में बताया गया है |

  5. कोरोना काल में स्वस्थ रहने एवं प्रतिरोध क्षमता बेहतर करने के लिए किस प्रकार के भोजन और पदार्थ का सेवन करना चाहिए |

    • दिन में तीन से चार बार गुनगुना पानी पिएं |
    • सुपाच्य ताजा बना हुआ भोजन ही करें |
    • घर का ताज़ा खाना खाएं | खाना पकाने के लिए कम तेल का उपयोग करें | 
    • खाना बनाने में हल्दी, जीरा , धनिया, सोंठ, लहसुन आदि मसालों का नियमित किन्तु अल्प प्रयोग करें | 
    • नियमित रूप से कम से कम ३० मिनट व्यायाम, योग व प्राणायाम करें| 
    • दिन में एक से दो बार गुनगुने पानी में चुटकी भर नमक एवं हल्दी डाल कर गरारे करें| बाहर से आने पर ये प्रकिया अवश्य करें | 
    • 7 से 8 घंटे की नियमित नींद लें | 
    • साबुत अनाज जैसे बिना पोलिश किये चावल, साबुत गेहूं का आटा, जौ-बाजरा आदि खाएं | 
    • ताजे मौसमी फल और मौसमी सब्जियों का प्रयोग करें | उपयोग करने से पहले फल- सब्जियों को अच्छी तरह से धो ले | 
    • खट्टे फल जैसे आँवाला, अनार, नीबूं, मौसम्बी और संतरा विटामिन-सी के अच्छे स्रोत हैं , जो रोग को प्रतिरोधक शक्ति कि वृद्धि करने और संक्रमण से लड़ने के लिए महत्वपुर्ण हैं | 
    • संयमित मात्रा में मसालों को शामिल करें जैसे अदरक, लहसुन और हल्दी जो की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक शक्ति बूस्टर हैं | 
    • गाय का दूध या कम वसा वाले दूध और दही को शामिल करें | क्योंकि वे प्रोटीन और कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं |
  6. संतोष एवं सुख से रहने के लिए आयुर्वेद ने क्या उपाय सुझाये है ?

    जैसा की कहा जाता है की "पहला सुख निरोगी काया" |अतः हमारे शरीर का रोगमुक्त होना ही सबसे बड़ा सुख है और आयुर्वेद में भी यही वर्णित है सबसे पहले हमें आपने शरीर की रक्षा का उपाय करना चाहिए | शरीरगत दोष , धातु, अग्नि का संतुलित अवस्था में होना, इसी के साथ सभी इन्द्रियों, मन व् आत्मा का प्रसन्न ही स्वाथ्य है | स्वाथ्य की रक्षा करना आयुर्वेद का एक प्रयोजन है और प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि आयुर्वेद में वर्णित उपायों का पालन कर एक स्वस्थ जीवन के ओर बढे | आयुर्वेद में दिनचर्या , ऋतुचर्या, सद्वृत, स्वस्थवृत्त, ऋतु अनुसार पंचकर्म, रसायन, आहार सम्बन्धी आचरण जैसे आहार विधि विशेषायातन, वैरोधिक आहार, आदि नियम बताये गए है जिनका अनुसरण कर स्वस्थ रहा जा सकता है |

    आज के इस परिपेक्ष में शारीरिक स्वस्थ्य के साथ साथ मानसिक रूप से भी स्वस्थ होना अति आवश्यक है | कोविद १९ महामारी में हमारे समाज को मानसिक रूप से भी प्रभावित किया है | इसके लिए आयुर्वेद एवं योग बेहद प्रभावी है | योगासन व् ध्यान द्वारा मानसिक चिंता व् तनाव से बचा जा सकता है |

  7. आयुष पद्धतियो के लिए शिक्षण हेतु मृत मानव देह पर शिक्षण एवम शोध हेतु क्या आवशकताये है ?

    मानव देह पर शिक्षण एवम शोध के विषय में मैं यह बताना चाहुगा की आयुर्वेद में शल्य चिकित्सा के लिए प्रसिद्ध ग्रंथ सुश्रुत संहिता में भी शल्य कर्म अभ्यास हेतु मृत शव के संरक्षण का वर्णन है | आज के समय में आयुष कॉलेजो में भी एनाटोमाय विषय में आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के समान ही शव -छेदन पाठ्यक्रम में सम्मिलित है |

  8. दधिचि देह दान समिति इसमें किस प्रकार सहयोगी हो सकती है |

    जैसा की मुझे ज्ञात हुआ है कि दधीचि की प्रेरणा से, "दधिचि देह दान समिति" शरीर-अंग-आंख-स्टेम सेल दान पर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से1997 से समर्पित संस्था है | यह संस्था इसी प्रकार समाज को देह दान की महत्वता के प्रति जागरूक करने का निरंतर प्रयास करती रहे , ऐसी मैं कामना करता हु | साथ ही मैं यह आग्रह करता हु कि हमारे देश के सभी राज्यों में आयुष चिकित्सा पद्धतियों के कॉलेज है, दधीचि देह दान समिति इस कॉलेजो के माध्यम से भी जागरूकता अभियान चला सकती है | अतः दधीचि देह दान समिति ऐसे आयुष कॉलेजो को चिन्हित कर सहायता कर सकती है जहा शव-छेदन के लिए शव उपलब्ध नहीं है |