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देहदानियों का 31वां उत्सव : पूर्वी एवं उत्तर-पूर्वी दिल्ली - 15 अप्रैल, 2018

संवेदनशील व्यक्ति ही देह दान का संकल्प ले सकता है

विवेकानन्द स्कूल, डी ब्लाॅक, आनन्द विहार, दिल्ली में देहदानियों का 31वां उत्सव आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के अध्यक्ष समिति के उत्तर-पूर्वी दिल्ली के संयोजक श्री योगेन्द्र अग्रवाल थे। यह उत्सव 14 अप्रैल, 2018 को मनाया गया। इस उत्सव में 130 से अधिक लोगों ने देह/अंग दान के संकल्प पत्र पर हस्ताक्षर किए। कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष श्री मोइन अख़्तर अन्सारी ने भी मंच से अपनी देह दान के संकल्प की घोषणा की।

उत्सव के आरम्भ में मंच संचालन करते हुए श्री महेश पंत ने सभी अतिथियों को दीप प्रज्ज्वलन के लिए आमंत्रित किया। वन्दे मातरम् का गायन श्रीमती गुंजन ने किया।

विषय की प्रस्तुति, मुख्य वक्ता, यू.सी.एम.एस की शरीरसंरचना विभागाध्यक्ष डाॅ. रेणु चौहान ने की। उन्होंने कहा कि मानव शरीरसंरचना वर्चुअल से भी पढ़ाई जा सकती है, लेकिन चिकित्सा विद्यार्थियों को देह के एक-एक अंग, एक-एक कोशिका और एक-एक हड्डी का भरोसेमंद ज्ञान वास्तविक शव, जिसे चिकित्सीय भाषा में केडेवर कहा जाता है, की स्वयं चीर-फाड़ करके ही होता है। उन्होंने इसकी विस्तृत जानकारी पीपीटी के माध्यम से उपस्थित जनसमुदाय को दी। डाॅ. चौहान ने समिति को धन्यवाद दिया कि आज उसकी प्रेरणा से चिकित्सा विद्यार्थियों को अध्ययन के लिए मिलने वाली मृत देहों की कमी काफी हद तक कम हो रही है।

मुख्य अतिथि श्री महेश गिरी, सांसद पूर्वी दिल्ली एवं राष्ट्रीय मंत्री, भाजपा ने समिति के कार्यों की बेबाक सराहना की। उन्होंने बताया कि उन्हें यह तो जानकारी थी कि समिति देह/अंग दान को बढ़ावा देने पर कार्य कर रही है, लेकिन कुछ ही समय में समिति का कार्यविस्तार इतना बढ़ जाएगा इसका उन्हें अनुमान नहीं था। उन्होंने कहा कि दान करना भारतीयों की परम्परा रही है लेकिन देह/अंग दान के पहले प्रेरक बने सत युग में महर्षि दधीचि।

श्रीमती सीमा बिन्दल की 16 वर्षीय बेटी को जब डाॅक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित किया, तो परिवार उस स्थिति को तुरन्त नहीं समझ पाया। अपनी भावनाओं को काबू में रखते हुए इस मां ने बताया कि कैसे अपनी बेटी के अंगों का दान करने के लिए परिवार की सहमति बनाई। रुंधी आवाज़ में उनका यह वर्णन सुनते हुए सभागार में बहुत लोग अपने आंसू नहीं रोक पाए। श्रीमती सीमा ने उपस्थित जनसमूह से देह/अंग दान का संकल्प पत्र भरने की अपील की।

महंत नवल किशोर दास ने स्पष्ट किया कि वैदिक काल से देह/अंग दान को लेकर हिन्दू धर्म में कोई भ्रान्ति नहीं रही है। महर्षि दधीचि, राजा शिवी इसके स्पष्ट उदाहरण हैं। अमरता का एक आधार है देह/अंग दान। मृत्यु के बाद भी मानव दुनिया को देखता है, किसी ज़रूरतमंद के सीने में उसका दिल धड़कता है। उन्होंने कहा कि समिति ने आम जन के दिलोदिमाग पर छाई रुढ़ियों को तोड़ा और मानवता के लिए किए जाने वाले इस दान को महादान की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है।

जिन महानुभावों का देह या अंग दान हो चुका है, ऐसे 18 दानी परिवार विशेष रूप से इस कार्यक्रम में आमंत्रित थे। इन सभी को मंच पर अतिथियों द्वारा स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।

श्री दीक्षित दनकौरी, महासचिव, अन्जुमन फरोग-ए-उर्दू काॅन्फ्रेन्स, दिल्ली, ने मीडिया द्वारा प्रयोग किए जाने वाले शब्द संवेदनशील के प्रयोग पर व्यंग्य करते हुए अपने अंदाज़ में कहा, ‘अरे मीडिया वालों संवेदनशील इलाकों में कफ्र्यू नहीं लगता... संवेदनशील तो इस सभागार का जनसमूह है, जो मानवता के प्रति संवेदना रखता है और देह दान/अंग दान का संकल्प लेता है।’

अंत में मुख्य वक्ता और दधीचि देह दान समिति के 16 वर्ष तक लगातार महामंत्री रहे तथा वर्तमान में समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मल्होत्रा ने समिति के कार्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि समिति की आयु 20 वर्ष हो गई है। पिछले दस वर्षों में समिति के कार्य तेज़ी से आगे बढ़े हैं। इसके कार्य क्षेत्र का इतना विस्तार हो गया कि दिल्ली और दो एनसीआर को मिला कर आठ क्षेत्रों में बांट दिया गया। इन सभी क्षेत्रों के अपने-अपने संचालक, सह-संचालक और कार्यकर्ताओं की टीम है।

श्री मल्होत्रा ने बताया कि समिति के माध्यम से अब तक 9000 से ज़्यादा महानुभाव देह/अंग दान का संकल्प ले चुके हैं। 31 मार्च, 2018 तक समिति ने लगभग 205 देह दान, 600 जोड़े नेत्र दान, 2 त्वचा दान, 3 लोगों की हड्डियों का दान, मस्तिष्क-मृत 4 लोगों का अंग दान (जिससे 8-10 लोगों को नया जीवन मिला) कराया है। इनके अलावा तीन बालिकाओं के केश दान भी कराए हैं।

उन्होंने बताया कि समिति ये सारे दान सरकारी मेडिकल काॅलेजों और अस्पतालों में कराती है। संकल्पकर्ता की मृत्यु की सूचना मिलने पर समिति का एक प्रतिनिधि दान की सम्पूर्ण कार्रवाई को पूरा कराने में मदद करता है। इसके लिए संबंधित परिवार को समिति को मात्र एक फोन करना होता है। समिति के कार्यकर्ता 24 घंटे मदद करने को तैयार रहते हैं।

समिति के महामंत्री श्री कमल खुराना भी कार्यक्रम में उपस्थित थे। श्री अनिल वर्मा व श्री हरेन्द्र डोलिया के अथक प्रयास से यह कार्यक्रम सफल रहा।