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भाई लक्ष्मण देव - हिन्दू संस्कृति के प्रतीक व धनी प्रतिभा के स्वामी

विनोद अग्रवाल,
संयोजक उत्तरी दिल्ली क्षेत्र

राष्ट्र के लिए समर्पित, एक कर्मठ एवं सम्पूर्ण निष्ठा के साथ कार्य करने वाला आदर्श व्यक्तित्व, इस लोक में 75 वर्ष तक हिन्दू समाज को अपना ईष्ट मान कर उसकी पूजा एवं सेवा करने वाला पथिक भाई लक्ष्मण देव, 14 अप्रैल, 2020 को बैकुंठ धाम की अपनी यात्रा पर चला गया। वह भारतीय एवं हिन्दू संस्कृति के प्रतीक तो थे ही, एक धनी प्रतिभा के स्वामी भी थे।

श्री लक्ष्मण देव एक राष्ट्र भक्त, गौ सेवक, पर्यावरण प्रेमी, प्रकृति के संरक्षक, समाज सेवी एवं मानवता के पोषक थे। वह आजीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारों से अभिभूत तथा संध के स्तम्भ के रूप में जाने जाते थे। वस्तुतः वह संघ के पर्याय थे। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के संचालन एवं उसके लिए उपयुक्त व्यक्तियों के चुनाव में पारंगत थे श्री लक्ष्मण देव।

हमारी दधीचि देह दान समिति की आठ क्षेत्रीय शाखाएं हैं, जो जनमानस में देह दान एवं अंग दान के प्रति जागरण का कार्य कर रही हैं। यह एक लघु उदाहरण है सामाजिक संस्थाओं के विस्तार का जो श्री लक्ष्मण देव भलि-भांति जानते और समझते थे।

उन्होंने मेडिकल के विद्यार्थियों के अध्ययन हेतु अपने शरीर एवं अंग दान का संकल्प लिया था। समिति के संस्थापक-अध्यक्ष श्री आलोक कुमार स्वयं उनके निवास पर गए थे और उसी बैठक में समिति के विस्तार का कार्य प्रारम्भ हुआ। श्री लक्ष्मण देव की देह दान की इच्छा पूर्ति के लिए समिति एवं उनके परिवारजनों ने काफी प्रयास किया, जो कोरोना संक्रमण काल के चलते सफल नहीं हो सका। फिर भी, जैसी उनकी इच्छा थी उसके अनुसार वह दधीचि परिवार के अभिन्न अंग थे और रहेंगे। वह वर्तमान के दधीचि बन गए हैं।

जब उनके पुत्र श्री वैभव से इस विषय पर चर्चा की तो उन्होंने अपने पिता के जीवन एवं दिनचर्या से संबंधित एक के बाद एक ढेरों प्रसंग सुना दिए। उन सभी प्रसंगों को यहां उद्धृत करना तो सम्भव नहीं है। लेकिन, उन प्रसंगों में मुख्य बात यह थी कि वह जब सुबह शाखा जाते थे तो वापस आने का समय कभी निश्चित नहीं रहा। कभी-कभी तो बैठकों का ऐसा क्रम चलता था कि रात को ही वापसी होती थी।

दूसरों और विशेषकर स्वसंसेवक बंधुओं की मदद के लिए उनके घर के दरवाज़े सदैव खुले रहते थे।

समाज एवं राष्ट्र के प्रति उनके योगदान ने सदैव अमिट छाप छोड़ी है, जिसको भविष्य में कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। वह हमारे जैसे अनेक कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा के स्रोत बन कर हम सभी का मार्ग दर्शन करते रहेंगे

उनके द्वारा किए गए महान योगदान के लिए हम सभी उनके आभारी हैं। हमारी समिति के सभी प्रतिनिधि उनके चरणों में भावभीनी विनम्र शब्दांजलि, पुष्पांजलि व श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। साथ ही प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि उनकी पवित्र आत्मा को अपने धाम में निवास दें और उनके इस दधीचि परिवार के सभी जनों को स्वास्थ्य एवं समृद्धि प्रदान करें जिससे वो समाज एवं राष्ट्र की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहें।

ऊं शांतिः ऊं शांतिः ऊं शांतिः