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दधीचि देह दान समिति के उत्तरी क्षेत्र द्वारा आयोजित देहदानियों का उत्सव

देहदानियों के दूसरे उत्सव में 200 से अधिक लोगों को उनके देह दान के संकल्प की वसीयतें प्रदान की गईं। यह आयोजन अशोक विहार, फेज़-2 के सनातन भवन के सभागार में दधीचि देह दान समिति की उत्तरी शाखा द्वारा रविवार 25 सितम्बर, 2016 को किया गया। इस अवसर पर ऐसे 26 परिवारों को स्मृति चिह्न भेंट किए गए जिनके यहां से पिछले एक वर्ष के दौरान देह दान या अंग दान हो चुके हैं। उत्सव के दौरान ही 100 से अधिक लोगों ने देह दान और अंग दान का संकल्प लिया।

उत्सव की मुख्य अतिथि, पंजाब केसरी समाचार पत्र की सीईओ श्रीमती किरण चोपड़ा ने अपने उद्बोधन में बताया कि वह अंग दान/देह दान का संकल्प तो लेना चाहती हैं, लेकिन ऐसा करने का पूर्ण रूप से मन नहीं बना पाई हैं। श्रीमती प्रीति उन्हाले के अन्तर्कथन और डॉ. एम.पी. गुप्ता के उद् गारों को सुनने बाद उनका मन बन गया। उन्होंने मंच पर माइक से घोषणा की कि वह इसी उत्सव में देह दान और अंग दान का संकल्प लेती हैं।

श्रीमती प्रीति उन्हाले के उद् गार थे कि उनका लगभग 15 वर्ष पूर्व एम्स में हृदय का प्रत्यारोपण हुआ था। वह उस परिवार की शुक्रगुज़ार हैं जिसके एक सदस्य का दिल उनके अंदर धड़क रहा है। जीवन लीला तो 15 वर्ष पहले ही समाप्त हो जानी थी, यह तो ज़िन्दगी का एक्सटेंशन है, क्योंकि डाॅक्टरों के मुताबिक उनका जीवन छह महीने का ही शेष रह गया था।

प्रशांत विहार, दिल्ली निवासी और सीनियर सेकेन्ड्री स्कूल के पूर्व प्रधानाचार्य डाॅ. एम.पी. गुप्ता ने एक महीने पहले अगस्त में ही अपनी पत्नी के मरणोपरांत पांच अंगों - दोनों गुर्दे, दोनों आंखें और लिवर दिल्ली के विभिन्न सरकारी अस्पतालों को दान किए थे। उनकी यही बात सुन कर श्रीमती किरण चोपड़ा का मन देह और अंग दान के लिए संकल्पबद्ध हो गया।

श्रीमती किरण चोपड़ा द्वारा देह दान और अंग दान का संकल्प लिए जाने के बाद उत्सव की अध्यक्षता कर रहे श्री विनोद अग्रवाल ने कहा, ‘‘हमारे इस उत्सव के आयोजन का मंतव्य पूरा हो रहा है। आपके इस संकल्प से सैकड़ों को अंग दान की प्रेरणा मिलेगी और हज़ारों रोगग्रस्त लोगों को नया जीवन।’’

दधीचि देह दान समिति के अध्यक्ष श्री आलोक कुमार ने कहा कि देह दान और अंग दान के लिए समाज में जागरूकता तो बढ़ी है लेकिन अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने बताया कि विस्तारित कार्यक्रम के आधार पर तीन साल के अंदर वर्ष 2019 तक समिति ने दिल्ली को काॅर्नियल अंधता से मुक्त करने का संकल्प लिया है। यह भी संकल्प लिया है कि आने वाले तीन वर्षों में समिति दिल्ली के सभी सरकारी मेडिकल काॅलेजों की केडेवर संबंधी आवश्यकता को पूरा करने का प्रयास करेगी।

सेन्ट्रल काउन्सिल फाॅर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज़ के महानिदेशक श्री के.एस. धीमान ने नेत्र दान, अंग दान और देह दान को अध्यात्म से जोड़ते हुए स्पष्ट किया कि जहां नेत्र दान से जगत, अंग दान से स्वास्थ्य का दान होता है, वहीं देह दान सीधा जीवन दान से जुड़ा हुआ है। कारण मानव देह के आधार पर ही तो सभी चिकित्सक अपने क्षेत्रों के पारंगत बनते हैं।

कार्यक्रम का प्रारम्भ श्रीमती कनक अग्रवाल, पूर्व निगम पार्षद एवं अन्य विशिष्ट व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। श्रीमती प्रीति भूटानी ने, जो दिल्ली विश्वविद्यालय में फ्रेंच की प्राध्यापिका ने, जो समिति के साथ पिछले एक महीने से जुड़ी हैं, बताया कि वह समिति के सभी कार्यक्रमों से प्रभावित हैं और इतने कम समय में अपने माता-पिता, सास से संकल्प करा चुकी हैं। उन्होंने बताया कि ससुर एवं मित्रों के साथ पन्द्रह छोटी गोष्ठियां करके इस कार्य को वह और गति प्रदान करेंगी। भविष्य में भी छोटी-छोटी गोष्ठियां कराती रहेंगी।