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देहदानियों का 35वाँ उत्सव - 7 अक्टूबर 2018

600 से अधिक लोगों ने देहदान/अंगदान के संकल्प पत्र भरे

7 अक्टूबर 2018 को डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर मेडिकल कालेज के सभागार में दधीचि देहदान समिति के उत्तरी विभाग द्वारा देहदानियों का 35वाँ उत्सव मनाया गया। विदित हो कि दधीचि देहदान समिति विगत 21 वर्षों से समाज में देहदान और अंगदान के लिए लोगों को प्रेरित करने का कार्य कर रही है।

महर्षि दधीचि तुल्य मानवों के स्वागत से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। मञ्चस्थ अतिथियों द्वारा “तमसो मा ज्योतिर्गमय” की भावना से दीप प्रज्वलन किया गया तथा “जीवेम शरदः शतम्” के उद्गार से समस्त सभागार उत्साह से परिपूर्ण हो गया। “अतिथि देवो भव” देववत् अतिथियों का स्वागत “तुलसी पादप” द्वारा किया जाना सर्वथा अनुकरणीय है।

डॉ जे. एम. कौल ने अपने वक्तव्य की शुरुआत देहदानियों के परिवारों के प्रति कृतज्ञता वयक्त करके की। उनके शोधपरक एवं विद्वत्तापूर्ण वक्तव्य ने ‘देह दान’ विषयक समस्त शंकाओं का अति सहज एवं सरल ढंग से निवारण किया। आयुर्वेदाचार्य महर्षि सुश्रुत से लेकर आधुनिक काल तक की चिकित्सा पद्धति और देह/अंग/नेत्र दान के प्रसंगों को समुपस्थित किया जाना रुचिकर और ज्ञानयुक्त था। उन्होंने बताया कि हमारी धार्मिक मान्यताएं देहदान को प्रोत्साहित करती हैं। साथ ही ये भी कहा कि जिस शरीर को आपने दान करना है उसे अपने जीवनकाल में खूब स्वस्थ व सुंदर रखें ताकि हम उसका सदुपयोग कर सकें।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री सत्येंद्र जैन, मंत्री, स्वास्थ्य एवं उद्योग, दिल्ली सरकार ने कहा ‘हम जिस समाज में रहते हैं, वहां मरने के बाद मृतक का अधिकार उसके शरीर पर नहीं रहता। उसके परिवार के लोग तय करते हैं कि उसके शरीर का क्या होगा? लेकिन समाज के भले के लिए आवश्यक है मृतक की इच्छा का सम्मान हो और यदि उसने अपने जीवनकाल में तय किया था कि उसके अंग या शरीर का दान किया जाये तो परिवार की इच्छा के बिना भी उसके शरीर का दान किया जाये’।

रूढ़िवादी परम्पराओं की चर्चा करते हुए महामण्डलेश्वर 1008 आचार्य स्वामी अनुभूतानन्द गुरु जी महाराज ने इस विषय को आज के संदर्भ में प्रस्तुत किया और ईशावास्योपनिषद् के मंत्र ‘कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेत शतं समाः’ को उद्धृत कर मानवमात्र को स्वस्थ व दीर्घ जीवनयापन का संदेश दिया। “परहित सरिस धर्म नहीं भाई, परपीड़ा सम नहीं अधमाई” (रामचरितमानस) जैसे विचारों का अनुकरण तभी हो सकता है यदि मनुष्य अपने शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक स्वास्थ्य का मनसा-वाचा-कर्मणा संरक्षण व संवर्धन करे।

श्रीमति सीमा बिंदल द्वारा सांझा किया गया अपना अनुभव, सभागार में उपस्थित जनसमूह के लिए भावनात्मक रूप से प्रेरणादायक रहा। उन्होंने अपनी 13 वर्षीय बेटी सुरभि की दुर्घटना में हुई मस्तिष्क मृत्यु के बाद उसके अंग दान करने का एक साहसी निर्णय लिया था।

अभी कुछ महीने पहले ही एम्स में जिनको ह्रदय प्रत्यारोपित हुआ है, ऐसे श्री संदीप मल्होत्रा ने समाज के प्रति अपनी कृतज्ञतापूर्ण भावनाओं को अभिव्यक्त किया। आज वे अपनी दो बच्चियों के साथ खेलते हुए आनंद से जी रहे हैं। उनकी पत्नी हिमानी ने उस परिवार को धन्यवाद दिया जिसने अपने प्रियजन का ह्रदय दान में दिया था। उन्होंने कहा उस परिवार के प्रति मेरा परिवार सदा कृतज्ञ रहेगा। डॉ एम.पी. गुप्ता ने भी उपस्थित जनसमूह को अपना अनुभव सुनाया। उन्होंने अपनी पत्नी की मस्तिष्क मृत्यु होने पर उनके अंगदान करके समाज के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।

दधीचि देहदान समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मल्होत्रा ने उत्तरी दिल्ली समिति के कार्यकर्ताओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके प्रयासों से 600 से अधिक लोगों ने देहदान/अंगदान का संकल्प लिया है। समिति द्वारा प्रेरणा लेकर अब तक 10000 से अधिक लोगों ने देहदान एवं अंगदान का संकल्प लिया है। दधीचि देहदान समिति 885 नेत्रदान एवं 232 देहदान करवा चुकी है। 8 स्किन दान एवं 2 अस्थिदान भी करवाये जा चुके हैं। इस अवसर पर श्रीमति मंजू प्रभा द्वारा सम्पादित स्मारिका ‘मानवता के लिए देहदान अंगदान नेत्रदान’ का विमोचन किया गया।

कार्यक्रम के मंच पर दधीचि देहदान समिति के महामंत्री श्री कमल खुराना, डॉ पुनीता महाजन, राजेश चेतन, प्रमोद गुप्ता, नीरज रायजादा, डॉ विजय आनंद व श्री महेश पंत की उपस्थिति रही। डॉ विशाल चड्ढा व श्री सुधीर गुप्ता भी इस उत्सव के साक्षी बने।

समिति के उत्तरी दिल्ली के संयोजक श्री विनोद अग्रवाल के अनुसार उनकी कार्यकर्ताओं की एक बड़ी टीम इस उत्सव को सफल बनाने के लिए कई दिनों से जुटी हुई थी। श्री ज्ञान प्रकाश तायल़, श्री महेंद्र चौधरी, श्री हरिप्रकाश गुप्ता, श्री मनीष गोयल तथा श्री मुकेश दुआ का इस कार्यक्रम के आयोजन में विशेष सहयोग रहा।

श्री अग्रवाल ने अस्पताल प्रशासन को भरपूर सहयोग देने के लिए आभार व्यक्त किया। सभी आगंतुकों का धन्यवाद करते हुए उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सब आज के विषय पर चिंतन मनन करते हुए इस जागरुकता अभियान में हमारे साथ जुड़े रहेंगें। भोजन के लिए सबको आमंत्रित करते हुए कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की गई।