Home
Print
Next

देहदानियों का 40वां उत्सव-उत्तर पूर्वी दिल्ली,
8 सितम्बर 2019

देह दान व अंग दान एक बड़ी ज़रूरत

यमुना विहार, सी ब्लाॅक स्थित महाराजा अग्रसेन भवन में दधीचि देह दान समिति द्वारा देहदानियों का 40वां उत्सव मनाया गया। इस अवसर पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली के 6 देहदानी परिवारों को सम्मानित किया गया तथा 140 लोगों ने देह दान व अंग दान का संकल्प लिया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ श्री विनय आर्य, महामंत्री, दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा, श्री हर्ष मल्होत्रा, अध्यक्ष, दधीचि देह दान समिति, श्री सुशील कुमार, विभाग संघ चालक, यमुना विहार विभाग, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं श्री प्रमोद गुप्ता, निगम पार्षद, दिल्ली द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।

लेडी हार्डिंग मेडिकल काॅलेज की डाॅ. शीतल जोशी ने पाॅवर प्वाइंट प्रस्तुति के माध्यम से देह दान-अंग दान की प्रक्रिया व मेडिकल क्षेत्र में इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने उपस्थित लोगों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के सरल व संतोषजनक उत्तर भी दिए।
अपने उद्बोधन में श्री विनय आर्य ने कहा कि आज देश में अंग एवं देह दान की बहुत आवश्यकता है। इसके लिए यह ज़रूरी है कि बड़ी संख्या में लोग आगे आएं ताकि इस कमी को पूरा किया जा सके। उन्होंने इस विषष के आध्यात्मिक पक्ष को सरल शब्दों में समझाते हुए कहा कि अगर दान करने वाला दान से अलग है तो यह समझना होगा कि मैं जो दान कर रहा हूं वो तो मैं एक आत्मा हूं। परमात्मा ने मुझे कर्म करने के लिए एक माध्यम दिया था, वो शरीर जब मेरे काम का नहीं रहा तो किसी और के काम आ जाए - ऐसा संकल्प करके मैं परमात्मा की आज्ञा का पालन कर रहा हूं, उल्लघंन नहीं कर रहा। इस तरह से तो दान का महत्व और प्रासंगिक हो जाता है।

श्री सुशील कुमार ने बताया कि देह दान-अंग दान से बड़ा कोई दान नहीं है। देश में सर्वकल्याण को अधिक महत्व देने की संस्कृति रही है। इसलिए, सभी को देह दान का संकल्प लेना चाहिए।

समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि भारत ऋषि दधीचि जैसे महान दानी का देश है। यहां परोपकार और लोक कल्याण के लिए अपना सर्वस्व त्यागने की प्राचीन परम्परा रही है। हमें उसी परम्परा को आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि समाज के सम्पन्न तथा प्रभावशाली लोगों को देह-अंग दान के लिए स्वतः आगे आना चाहिए ताकि आम जनता भी उनका अनुसरण करे। समिति की गतिविधियों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि 22 वर्ष पूर्व गठन होने के पश्चात् आज हम एक बहुत बड़ा स्वरूप बन गए हैं। समिति के कार्य को 8 क्षेत्रों में बांटा गया है, जिन्हें क्षेत्रीय संयोजक अपनी टीम के साथ देख रहे हैं। केन्द्रीय समिति इन सभी के साथ समन्वय बनाए रखती है व मार्ग दर्शन का काम करती है। लगभग 10,000 लोग संकल्प पत्र भर कर देह-अंग दान के इस अभियान में समिति के साथ जुड़े हैं।

इस अवसर पर श्रीमती सीमा बिन्दल ने बताया कि कैसे उन्होंने अपनी 16 वर्षीय पुत्री के ब्रेन डेथ होने पर उसके अंग दान का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि आज उनको यह निर्णय अपनी पुत्री की मृत्यु के दुःख को कम करने में सहायक प्रतीत होता है। रुंधे गले से जब उन्होंने अपना यह अनुभव सांझा किया तो सभी की आंखें नम हो गईं। दुःख की घड़ी में लिया गया अंग दान का साहसिक निर्णय निश्चय ही समाज के लिए एक प्रेरणा है।

उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के संयोजक श्री योगेन्द्र अग्रवाल ने अपने सहज संचालन से पूरे कार्यक्रम की निरंतरता बनाए रखी। कार्यक्रम के संयोजक श्री प्रमोद गुप्ता ने सबका धन्यवाद करते हुए अतिथियों को भोजन के लिए आमंत्रित किया।