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श्रद्धा सुमन

सितंबर अक्टूबर में 28 संकल्पित जनों के परलोक गमन के बाद समिति से नेत्रदान या देहदान के लिए संपर्क किया गया। हर संभव प्रयास करने पर भी हम 12 दानियों की इच्छा पूर्ण नहीं करा पाए। उन सब को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए हम उनकी सूची भी यहां दे रहे हैं।

श्रीमती सरोज शर्मा


श्रीमती सरोज शर्मा का 73 वर्ष की आयु में 1 सितंबर को देहावसान हुआ। वे राजौरी गार्डन में रहती थीं। उनकी बेटी ने हमें उनके विषय में कुछ इस प्रकार लिख कर भेजा है -

"My mother Dr. Saroj Sharma was associated with Mahavir International, Delhi, for over more than 20 years. She was a very simple, down to earth, kind and loving person. A physician who dedicated herself to the care of sick and needy among the underprivileged. She was nothing but exceptional .Her compassionate nature as a doctor was very refreshing. She with her dedication and efforts was favourite of the patients and staff at Rajdhani hospital. She was always on good spirits, helpful and cheerful. She was a very strong lady and gave support to the community by her philanthropy work commitment. She always be remembered for her great contribution to humanity and will always be felt. I always feel proud to be her daughter"

हम परिवार का अभिवादन करते हैं कि उन्होंने स्वर्गीय श्रीमती सरोज शर्मा का पार्थिव शरीर एम्स के न्यूरो विभाग में दान किया। पूरा जीवन जिन्होंने मानवता की सेवा में लगाया, परिवार ने मृत्यु के बाद भी उनके जीवन को चिकित्सा शास्त्र की सेवा में समर्पित किया। उनके नेत्र भी राजेंद्र प्रसाद आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा के प्रति दधीचि परिवार की सविनय श्रद्धांजलि।

संपर्क सूत्र : पुत्री डॉक्टर अनुपमा 83838 95863

श्रीमती स्नेह लता गोयल


श्रीमती स्नेह लता गोयल का 88 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। उनका स्थाई निवास कृष्णा नगर में था। उनके पुत्र डॉ हर्षवर्धन जो अभी भारत सरकार में स्वास्थ्य मंत्री है, समिति में समिति गठन के समय से जुड़े हैं। सामाजिक रूप से सक्रिय परिवार की प्रमुख होने के नाते ,श्रीमती गोयल को सब एक स्नेही व अपनापन देने वाली महिला के रूप में याद करते हैं।

स्वर्गीय गोयल की पुत्रवधू श्रीमती नूतन गोयल ने उनके प्रति अपनी यादों को हमें अपने शब्दों में लिख कर भेजा है।

"घर के बुजुर्ग घर की अमूल्य निधि होते हैं। उनकी उपस्थिति से ही परिवार में संबंधों की मधुरता और संस्कार कायम रहते हैं। समय-समय पर उनकी सीख और मार्गदर्शन जीवन को आसान बना देता है। जब वह नहीं रहते तब परिवार में एक ऐसी कमी महसूस होती है जिसकी पूर्ति कभी नहीं हो पाती।

जब हमारे पापा जी (स्वर्गीय ओम प्रकाश गोयल )का देहांत हुआ, तब हम सब इतने भावुक और दुखी हो गए थे कि उनका अंगदान/ देह दान करना भूल गए। जबकि वह अंगदान/ देहदान के पुरजोर समर्थक थे। वे जब जीवित थे, तभी अपना नेत्रदान कर गए थे और मुझे बाद में उनके कागजातों में उनके नेत्रदान का प्रमाण पत्र मिला। वह नेत्रदान/ देहदान के समर्थक थे। इसका अंदाजा इस बात से सहज ही लगाया जा सकता है कि वर्ष 1995 में जब श्री नानाजी देशमुख की उपस्थिति में दधीचि देहदान समिति की पहली बैठक हुई तो उसमें मैं और मेरे पति डॉ हर्षवर्धन ने देहदान का संकल्प लिया।

उसके लिए भरे जाने वाले फॉर्म पर हस्ताक्षर करने वाले दो गवाहों में एक गवाह के तौर पर पापा जी ने हस्ताक्षर किए थे। उस समय पापा जी और मम्मी जी (श्रीमती स्नेह लता जी) ने देहदान के हमारे निर्णय का पूरा समर्थन किया था।

मम्मी जी बहुत मजबूत आत्मविश्वास वाली थीं। किसी भी मुश्किल समय का बहुत ही आसानी से मुकाबला कर लेती थीं। किसी भी प्रकार का तनाव या चिंता किसी को नहीं करने देती थीं। वह परिवार की अहमियत को बहुत अच्छी तरह समझती थी।

परिचित और अपरिचित सभी को मधुर संबंधों से कैसे जोड़ा जाता है यह उनको बहुत अच्छी तरह आता था। कोई भी व्यक्ति यदि किसी सहायता के लिए उनके पास आता था तो वह कभी ना नहीं कहती थीं। और यथासंभव मदद जरूर करते थीं। यह उनका बहुत बड़ा गुण था। किसी परिचित के घर कोई तनाव अथवा परिवार टूटने की जानकारी जब उनको मिलती थी तो वे स्वयं आगे बढ़कर तनाव को समाप्त करने और परिवार को टूटने से बचाने का पूरा प्रयास करती थीं। हमेशा सभी के हित की बात करती थीं।

स्पष्टवादी थीं। मेरे घर की वह स्तंभ थीं। उनके जीवित रहते मैं सदैव निश्चिंत रहती थी। मम्मी जी का स्वर्गवास हमारे लिए एक वज्रपात है और उनकी अनुपस्थिति बेहद असहनीय है। लेकिन मन को इस बात से सांत्वना है कि वह शरीर से हमसे विदा हुई हैं, सूक्ष्म रुप से हमेशा हमारे साथ हैं। उनका नेत्रदान किसी जीवन को रोशन कर रहा होगा तथा दान की गई उनकी शरीर से अनेक विद्यार्थी मेडिकल की पढ़ाई कर भविष्य में हजारों लोगों की चिकित्सा सेवा कर सकेंगे। मैं अपने को सौभाग्यशाली समझती हूं कि सासु रूप में मुझे ऐसी मां मिली जो जीवन भर जरूरतमंदों की यथासामर्थ्य सहायता और दान पुण्य का कार्य करती रही और मृत्यु के उपरांत उनका शरीर भी लोक हित के लिए समर्पित हो गया। "

6 सितंबर को स्वर्गीय स्नेह लता गोयल का पार्थिव शरीर मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के उपयोग हेतु दान में दिया गया। समिति परिवार का अभिवादन करती है। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्रवधू , श्रीमती नूतन गोयल 958 2140 142

श्री श्याम लाल मेहरा


श्री श्याम लाल मेहरा ने 88 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। वे पंचशील पार्क में रहते थे। धार्मिक व राष्ट्रीय विचारों वाले परिवार में इनका जन्म हुआ। पंजाब व हरियाणा सरकारों में इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट्स डिपार्टमेंट में कार्यरत रहे। भारत ,दुबई, इराक, सऊदी अरब व अमेरिका में भी इन्होंने कई कमर्शियल हाउसेस में काम किया।

1997 से वाणप्रस्थी के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व विश्व हिंदू परिषद में कार्य करना शुरू किया। जो भी कार्य उन्होंने अपने हाथ में लिया उसे दृढ़ता और लगन से निभाया।

7 सितंबर को मरणोपरांत उनकी इच्छा के अनुरूप परिवार जनों ने उनके नेत्रदान का निर्णय करके समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का हम अभिनंदन करते हैं। समिति परिवार स्व. श्यामलाल मेहरा की दिवंगत आत्मा को सादर श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्री सुश्री आरती मेहरा

श्रीमती भारती वधवाना


श्रीमती भारती वधवाना ने 81वर्ष की आयु मे अपनी इह लीला समाप्त की। वह डिफेंस कॉलोनी में रहती थीं। उनकी पुत्रवधू ने स्वर्गीय भारती की सामाजिक व धार्मिक सक्रियता का जीवंत वर्णन फोन पर बातचीत में किया। उन्होंने भावुक होकर बताया कि अपनी हर सामाजिक गतिविधि में उन्होंने बहू को अपने साथ रखा और भावुक क्षणों में उनका मजबूत सहारा बनकर खड़ी रही। स्वर्गीय भारती

वधवाना आध्यात्मिक रुझान वाली महिला थी। अक्षरधाम में उन्होंने कई साल सेवा दी। परिवार में भी सब को एकजुट रखना व त्योहारों पर सामूहिक रूप से एकत्रीकरण करके उत्साह से आनंद मनाना उन्हें प्रिय था।

शारीरिक रूप से श्रम करने में भी वह हिचकती नहीं थीं। गुजराती महिला समाज ,गुजराती क्लब ,इनरव्हील, दिल्ली मिड टाउन इन सभी संस्थाओं में उन्होंने महत्वपूर्ण व सक्रिय भूमिका निभाई। सबके लिए कुछ करने का जज्बा लेकर उन्होंने अपना जीवन जिया। उनके उपयोगी व सफल जीवन के अनुरूप ही परिवार जनों ने उनके नेत्रदान का निर्णय करके उनकी मृत्यु को भी मानवता के लिए उपयोगी बना दिया। 12 सितंबर को गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान उनके नेत्र दान में लेकर गई। हम परिवार का अभिवादन करते हैं। समिति परिवार की ओर से दिवंगत आत्मा को सविनय श्रद्धांजलि।

संपर्क सूत्र : पुत्रवधू श्रीमती नम्रता वधवाना 99104 80172

श्री गुरदीन प्रसाद


श्री गुरदीन प्रसाद ने 75 वर्ष की आयु में 13 सितंबर को परलोक गमन किया। वे अशोका निकेतन में रहते थे। बहुआयामी प्रतिभा के धनी स्व.गुरदीन जी ने अपनी योग्यताओं का प्रयोग बिना थके निरंतर समाज सेवा में ही किया। विद्यालय में अभिभावक संघ, महाविद्यालय में कॉलेज व अस्पताल प्रबंधन ने इनकी प्रबंधन क्षमता का लाभ उठाया। झंडेवाला मंदिर, हिंदू पर्व समन्वय समिति, रुस्तगी समाज, विश्व हिंदू परिषद और न जाने कितनी संस्थाओं से वे औपचारिक व अनौपचारिक रूप से जुड़े हुए थे।

संघ के वे एक ध्येयनिष्ठ स्वयंसेवक थे। रूढ़ीवादी परंपराओं में विश्वास नहीं रखते थे। आर्य समाज की विचारधारा से अनुप्राणित रहे। 1990 के अंतर्राष्ट्रीय आर्य सम्मेलन के आयोजन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी ,जिसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया। ज़ोनल रेवेन्यू ऑफिसर के पद से ये सेवानिवृत्त हुए और उसके बाद उन्होंने अपना पूरा समय समाज के सेवा कार्यों में लगाया। समाज के लिए प्रेरक व उपयोगी जीवन जीने वाले इस महामानव को हमारा नमन। हम परिवार जनों का अभिवादन करते हैं कि उन्होंने स्वर्गीय गुरुदीन प्रसाद जी की इच्छा का सम्मान करते हुए मरणोपरांत उनके नेत्रदान का निर्णय लिया। गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान इनके नेत्र दान में लेकर गई। हम प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

संपर्क सूत्र : पुत्र महेश रूस्तगी 91365 27713

श्रीमती सुशीला शर्मा


श्रीमती सुशीला शर्मा का 80 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वह मॉडल टाउन 2 मे रहती थी। हम परिवार जनों का अभिवादन करते हैं कि उन्होंने मानवता की सेवा के लिए उनके नेत्रदान का निर्णय लिया। यह समाज के लिए एक प्रेरक उदाहरण है। इसके व्यवहारिक पक्ष को स्वर्गीय सुशीला के पति ने इस प्रकार व्यक्त किया-

"Before death she did not have any idea of donation of eyes but after her death confirmed .My son Vijayakant advised that to see her alive let us donate eyes having strong eyesight. We all accepted and informed the doctors concerned, who came within two hour and completed the job .Not only we felt pleasure but our all relatives and friends appreciated. This inspired many. And decided to follow when they get such chance and some of them registered."

14 सितंबर को मरणोपरांत इनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम

ससम्मान दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा के प्रति समिति परिवार की सविनय श्रद्धांजलि।

संपर्क सूत्र : : पुत्र विजय शर्मा 98110 12686

श्री भगवानदास कालरा


15 सितंबर को श्री भगवानदास कालरा ने 71 वर्ष की आयु में अपनी इह लीला समाप्त की। वे समयपुर, बादली में रहते थे। उनके पुत्र ने अपने पिताजी के प्रति निम्न शब्दों में अपनी भावनाएं व्यक्त की है-

"Our beloved father Late Shri B.D .Kalra was a man of simple living and high thinking ...He always believed in uplifting downtrodden and help them by giving employment and other ways of benevolent activities.. He was living example and several people looked up to him for his advice in the day to day issues. As family ,it is matter of great pride his last deed before saying goodbye was, for humanity cause... This world is beautiful because of people like him. May his eyes continue seeing this beautiful world with his own eyes for years to come."

गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान इनके नेत्र दान में लेकर गई। परिवार जनों का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे।

संपर्क सूत्र : पुत्र रोहित कालरा 95603 49915

श्रीमती लीला गुप्ता


श्रीमती लीला गुप्ता 64 वर्ष की आयु में परलोक सिधार गईं। वे मॉडल टाउन में रहती थीं। फोन पर संपर्क करने पर स्वर्गीय लीला के पति ने बहुत गर्व से उनके विषय में बात की। वे एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। उन्होंने अपने बच्चों को शिक्षित करके योग्य बनाया। अपने पति की सभी सामाजिक गतिविधियों में उनका पूर्ण सहयोग रहता था। सेवा भारती के कई सेवा प्रकल्पों में उनकी सक्रिय भूमिका रही। वह दृढ़ संकल्प वाली महिला थीं और समिति की संकल्पित देहदानी भी थीं।

आज की परिस्थिति में देहदान के लिए पार्थिव शरीर का कोविड टेस्ट होना जरूरी है। इनका निर्धारित समय सीमा में कोविड टेस्ट की रिपोर्ट न मिलने के कारण देहदान संभव नहीं हो सका। परिवार जनों का अभिवादन जिन्होंने मानवता की सेवार्थ इनके नेत्रदान का क्रियान्वयन कराया। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सादर इनके नेत्र 17 नवंबर को दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पति श्री प्रेमचंद गुप्ता 9810188373

श्री हरबंस लाल गुजराल


श्री हरबंस लाल गुजराल का 78 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे प्रताप नगर में रहते थे। उनके पुत्र ने बहुत आदर सहित उनके विषय में बात की। स्वर्गीय हरबंस लाल ने हरमिलापी से दीक्षा ली हुई थी। उन्होंने अपने पूरे परिवार को जोड़ कर रखा था। बच्चों को धार्मिक रूप से अच्छे संस्कार दिए। स्वयं भी लगभग 14 वर्ष वृंदावन में भक्ति भाव से रहे। वहां पर भक्तों की सेवा में उन्होंने एक आश्रम खोला हुआ था। उनकी अपनी इच्छा थी कि उनके नेत्रदान किए जाएं। परिवार जनों का साधुवाद कि उन्होंने स्वर्गीय हरबंस लाल की इच्छा का सम्मान करते हुए नेत्रदान का क्रियान्वयन किया। 5 अक्टूबर को मरणोपरांत उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री प्रवीण गुजराल 891 115 0561

श्री बाबूलाल जैन


श्री बाबूलाल जैन का 73 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया। वे कटवारिया सराय में रहते थे। मिलनसार और स्नेही प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। 12 अक्टूबर को उनकी मृत्यु के बाद उनके भतीजे ने परिवार को नेत्रदान के लिए प्रेरित किया। उनके तीन बेटे और एक बेटी सभी इस पुण्य कार्य के लिए सहज ही तैयार हो गए। मानवता की सेवा के लिए किए जाने वाले इस निर्णय के लिए हम परिवार जनों का साधुवाद करते हैं।। गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान उनके नेत्र दान में लेकर गई। दधीचि परिवार दिवंगत आत्मा को सादर श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र : भतीजा हरीश जैन 98188 98615

श्रीमती सुनीता गोयल


70 वर्ष की आयु में श्रीमती सुनीता गोयल का देहावसान हो गया। वे अलकनंदा में रहती थीं। उन्होंने अपनी मृत्यु से लगभग 2 सप्ताह पूर्व ही देहदान का संकल्प पत्र भरा था। बहुत सरल व घरेलू महिला थीं। परिवार को साथ लेकर चलती थीं। उन्हें शांतिपूर्ण जीवन पसंद था। उनके पति ने भी देहदान का संकल्प लिया हुआ था। एकमात्र पुत्र विदेश में है। परिवार जनों का साधुवाद जिन्होंने कोविड काल के चलते देहदान की प्रक्रिया में बहुत धैर्य व दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया। 12 अक्टूबर को सुनीता गोयल का पार्थिव शरीर मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया। समिति परिवार दिवंगत आत्मा को सादर श्रद्धा सुमन अर्पित करती है।

संपर्क सूत्र : मित्र श्रीमती कमलेश 98996 40679

श्रीमती विद्या रानी गर्ग


श्रीमती विद्या रानी गर्ग 86 वर्ष की आयु में परलोक सिधार गईं। वे हरी नगर में रहती थीं। उनके बेटे ने आदर सहित उन्हें याद करते हुए बताया कि वह धर्म ग्रंथों का अध्ययन करती रहती थीं। आडंबर में उन्हें विश्वास नहीं था। उनका मानना था कि मरने के बाद तो शरीर मिट्टी ही है, इसके लिए कोई आडंबर नहीं होना चाहिए। R.S.S. से जुड़ा हुआ परिवार है। सामाजिक गतिविधियों में उनका भरपूर सहयोग रहता था। देहदान के लिए परिवार में चर्चा करके सबकी सहमति बनी। 17 अक्टूबर को उनका पार्थिव शरीर मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया। इस प्रेरक उदाहरण को समाज के सामने रखने के लिए परिवार जनों का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें, ऐसी हम प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : राजेश गर्ग 99530 31209

डॉक्टर श्री चंद अग्रवाल


डॉक्टर श्री चंद अग्रवाल का 66 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे हरी नगर आश्रम में रहते थे। अध्यापन क्षेत्र में उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। गणित विषय पर उन्होंने कई शोध पत्र प्रस्तुत किए व प्रकाशित भी हुए। दधीचि देहदान समिति के जागरूकता अभियान में वे सक्रियता से भाग लेते थे। परिवार जनों का साधुवाद जिन्होंने इनके नेत्रदान का निर्णय लिया। 18 अक्टूबर को मरणोपरांत गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान इनके नेत्र दान में लेकर गई। दधीचि परिवार दिवंगत आत्मा के प्रति अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र : । पुत्र श्री मुकुल 98113 36606

श्री त्रिलोक नाथ खुराना


69 वर्ष की आयु में श्री त्रिलोक नाथ खुराना का देहावसान हो गया। वे मोती नगर में रहते थे। उनके पुत्र से फोन पर हुई बातचीत से जानकारी मिली कि उनके पिताजी की मृत्यु के समय वे बहुत छोटे थे। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने घर की जिम्मेदारी भी संभाली। उन्हें अपने परिवार से बहुत जुड़ाव था। लोगों से मिलना कम पसंद करते थे। परिवार ने उनकी मृत्यु के बाद उनके नेत्रदान का निर्णय करके समाज में एक प्रेरणादायी कार्य किया है। समिति परिवार का अभिवादन करती है। 18 अक्टूबर को गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान उनके नेत्र दान में लेकर गई। ईश्वर से हम दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री गौरव खुराना 98102 92952


श्रीमती दलजीत कौर

श्रीमती दलजीत कौर ने 84 वर्ष की आयु में अपनी इह लीला समाप्त की। वे मानसरोवर गार्डन में रहती थीं। उनके पुत्र ने बहुत सम्मान के साथ उन्हें याद करते हुए बताया कि वह आखिरी समय तक पूजा पाठ करती रहीं। वे बहुत सचेत व जागरूक महिला थीं। घर की व्यवस्था हो या परिवार का बिजनेस, सब के विषय में उन्हें पूरी जानकारी रहती थी। 20 अक्टूबर को मरणोपरांत उनके अंतिम संस्कार की तैयारी व समय सूचना सबको दी जा चुकी थी। उनके बेटे को जब उनके एक मित्र ने देहदान के विषय में बताया तो उन्होंने अपनी तुरंत सहमति बनाई। समिति से संपर्क करके देहदान की प्रक्रिया शुरू की। पार्थिव शरीर के कोविड टेस्ट के कारण इस प्रक्रिया में जितना भी समय लगा उसमें परिवार ने धैर्य और दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया। परिवार जनों का साधुवाद। समिति परिवार दिवंगत आत्मा को सादर श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र : पुत्र श्री अमर पाल सिंह 98112 20603

श्री देवेंद्र चोपड़ा


श्री देवेंद्र चोपड़ा का 31 अक्टूबर को निधन हुआ। वे 75 वर्ष के थे। परिवार ने नेत्रदान करने का निर्णय लिया। मानवता की सेवा के लिए किया जाने वाला यह दान समाज के लिए एक अनुकरणीय कार्य है। रोहिणी निवासी स्वर्गीय चोपड़ा के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। हम परिवार का साधुवाद करते हैं व दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : मित्र श्री पंकज 9957610227

जिनका दान सम्भव नहीं हो सका:

  1. स्व.जवाहर लाल, रमेश नगर, दिल्ली
  2. स्व. प्रकाश चंद कोठारी, गाजियाबाद
  3. स्व. संतोष चावला, फरीदाबाद
  4. स्व. वेद प्रकाश मदान ,गाजियाबाद
  5. स्व. संतोष तनेजा, पंजाबी बाग, दिल्ली
  6. स्व. प्रमोद कुमार, ग्रेटर नोएडा
  7. स्व. गौरव, हरियाणा, ब्रेन डेथ केस, अंगदान की व्यवस्था की गई थी। दिल्ली पहुंच कर मृत्यु हो जाने के कारण अंगदान संभव नहीं हो सका।
  8. स्व.तिलक राज वडेरा, पीतमपुरा, दिल्ली
  9. स्व.रमेश चंद अग्रवाल, प्रशांत विहार, दिल्ली
  10. स्व.कश्मीरी देवी, रोहिणी, दिल्ली
  11. स्व.ए.आर. शंकर नारायणन्, चितरंजन पार्क, दिल्ली,
  12. स्व. विजय गुप्ता, मदनगीर, दिल्ली