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जीवन के इस महापर्व में, आओ हम आहुति करें

जीवन के इस महापर्व में, आओ हम आहुति करें ।
क्षणभंगुर जीवन थम जाए ,समिधा बन आहुति करें ।।

काम किसी के आना, अपने जीवन का संकल्प है ।
अंगदान सब दान से बढ़कर ,बढ़कर हम आहुति करें।।

बाद हमारे भी यह दुनिया ,चलेगी चलती जाएगी।
जीवन ज्योति न बुझने पाए, हम अखंड आहुति करें।।

नेत्र, त्वचा, मज्जा और किडनी, काम किसी के आ जाएं।
व्यर्थ जलाकर राख न कर दें, बलिदानी आहुति करें।।

लहू दान कर लहू बढ़ाते ,जीते जी अरमान सहित।
दुनिया छोड़कर जाते जाते स्वाभिमान आहुति करें ।।

याद रखेगा हमें ज़माना महादान ग़र कर जाएं।
सुखी और समृद्ध बनेगा यह समाज आहुति करें।।

तन निर्जीव हुआ सुख लेकर, मन को ना निर्जीव करें।
जाते-जाते जीवन देकर ,महादान आहुति करें।।

हो संकल्प 'उदार' हमारा, सत्पथ पर बढ़ते जाएं ।
बने प्रेरणा स्रोत सभी के आओ हम आहुति करें।।

डॉक्टर दुर्गा अशोक सिन्हा 'उदार'