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श्रद्धा सुमन

आदर करने योग्य जिंदगी , आदर्श सोच

श्री वीर सरन जैन

श्री वीर सरन जैन का 89 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे दिल्ली के रोहिणी में रहते थे। उनके पुत्र ने फोन पर उनके विषय में श्रद्धा पूर्वक चर्चा की। स्व. जैन महावीर अस्पताल में ट्रस्टी थे। सेवा कार्यों में, दान करने में सदा आगे रहे । लड़कियों को स्वावलंबी बनाने की दृष्टि से एक सिलाई स्कूल में उनका विशेष योगदान रहा। उनके जीवन के अनुरूप ही मरणोपरांत, उनके परिवार ने उनका नेत्रदान करके समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। 10 नवंबर को गुरु नानक आई सेंटर की टीम उनके नेत्र सम्मान सहित दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री राजीव जैन, 8100000006

दान ही उनका धर्म

श्रीमती स्वराज्य जैन

श्रीमती स्वराज्य जैन का 14 नवंबर को 76 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे गुरुग्राम में रहती थीं। उनके पौत्र से फोन पर हुई चर्चा से पता चला कि वे एक नियमित दानदाता थीं। उन्हें 15000 रुपए पेंशन मिलती थी और 14000 रुपए दान में ही खर्च कर देती थीं। पालम विहार जैन मंदिर में उन्होंने एक मूर्ति दान की और अपने सारे आभूषण भी मूर्ति की सज्जा के लिए दान कर दिए। नेत्रदान का संकल्प भी उन्होंने लिया था। परिवार ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए आर.पी. सेंटर, एम्स में उनके नेत्र दान में दिए। परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री पीयूष जैन, 97116 90060

जाते-जाते महादान

श्री हरि चंद अरोड़ा

श्री हरि चंद अरोड़ा ने 94 वर्ष की आयु में परलोक गमन किया। वे फरीदाबाद में रहते थे। उनकी पुत्रवधू ने बताया कि वे अपने स्वास्थ्य के प्रति बहुत सचेत थे। परिवार में, आस पड़ोस में, अपने कर्मचारी समूह में हर समय हर संभव सहायता के लिए तैयार रहते थे। उनका जीवन संघर्षपूर्ण रहा। अपने जीवन काल में उन्होंने परिवार से अपनी देहदान की इच्छा बता रखी थी। परिवार का साधुवाद जो उन्होंने स्व. हरि चंद की इच्छा का सम्मान किया। 15 नवंबर को उनका पार्थिव शरीर ई.एस.आई. मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद में चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के अध्ययन के लिए दान में दिया गया। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्रवधू श्रीमती अलका अरोड़ा, 999080 898

जिंदगी के बाद भी बने रहेंगे गुरु

श्री प्रीतम सिंह शर्मा

श्री प्रीतम सिंह शर्मा की 96 वर्ष की आयु में इहलीला समाप्त हुई। वह दिल्ली के शाहदरा में मानसरोवर पार्क के निवासी थे। उनके पुत्र ने आदर पूर्वक विस्तार से उनके बारे में बातचीत की। बागपत जिले के अमीनगर सराय में शील चंद इंटर कॉलेज की स्थापना उन्होंने की थी। 42 वर्ष तक वहीं अध्यापन का कार्य किया। गांव की कन्याओं को भी उन्होंने पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। इस कार्य में उनकी पत्नी का पूर्ण सहयोग रहा। अपने बच्चों को इन्होंने उच्च शिक्षा दी। एक अध्यापक होने के नाते उनकी हार्दिक इच्छा थी कि उनका शरीर भी छात्रों की पढ़ाई के काम आए। अपने जीवन काल में वे गुरुजी के नाम से पुकारे जाते थे। मरणोपरांत भी वे चिकित्सा के विद्यार्थियों के लिए "प्रथम गुरु" के रूप में सम्मानित हुए। एम्स, दिल्ली के छात्रों की पढ़ाई के लिए 20 नवंबर को उनका पार्थिव शरीर दान में दिया गया। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित उनके नेत्र दान में लेकर गई। ईमानदारी का जीवन जीने वाले स्व. प्रीतम ने स्वत: ही अपना मुक्ति मार्ग बनाया। दधीचि परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि। स्व. प्रीतम की मृत्यु को भी गौरवान्वित करने के लिए परिवार को नमन।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री दिनेश शर्मा , 98993 92209

अपना धर्म जानते थे वे

श्री अशोक कपूर

दिल्ली में दयानंद विहार निवासी श्री अशोक कपूर का 71वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। उनके पुत्र से बातचीत में पता चला कि वे बहुत सरल व धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। घर में वे अक्सर चर्चा करते थे कि मरने के बाद शरीर का जो कुछ भी किसी के काम आ सके, उसे अवश्य दे देना चाहिए। परिवारजनों ने मानवता की सेवा में 23 नवंबर को मरणोपरांत उनकी आंखें गुरु नानक आई सेंटर में दान की। परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री अंकित कपूर, 98730 14434

सोच में था परोपकार

श्री मेहताब सिंह

श्री मेहताब सिंह का 86 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे रोहिणी में रहते थे। 25 नवंबर को उनकी मृत्यु के बाद परिवार जनों ने नेत्रदान का क्रियान्वयन करके मानवता की सेवा का एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार के लिए साधुवाद। गुरु नानक आई सेंटर की टीम स्व. मेहताब के नेत्र ससम्मान दान में लेकर गई। समिति परिवार, दिवंगत आत्मा को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र: निकट संबंधी श्री संजय शौकीन , 98999 95707

अभिनव सोच , हमेशा आदर के योग्य

श्री सुरेंद्र कुमार गर्ग

श्री सुरेंद्र कुमार गर्ग का 98 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहते थे। उनके पुत्र ने उनका जीवन परिचय हमें लिखकर भेजा है-

" Sri Surendra Kumar son of Lala Bhanumal was originally resident of Saharanpur and resided at Dehradun and Gonda UP at various times. His Father Sri Bhanumal was also a great freedom fighter. He was first time convicted on 24.09.1930 for one yr R.I. and fine and on01.02.1932 for four months R.I. and fine and was convicted on19.12.1931for six months R.I. and fine by Saharanpur court's, Later he was convicted on 10.01.1941for one year R.I. and fine by Dehradun court. Same way the elder brother of Sri Surendra Kumar, Sri Krishan Kumar s/o LaLa Bhanumal was also convicted on20.04.1943 for six months R.I. and fine by lucknow courts. Sri Surendra Kumar himself was convicted on 05.10.1942 for three months R.I. and fine by Kanpur court where he was a student at that time. This was a unique case where three members of a single family i.e. Lala Bhanumal and his two sons suffered rigorous imprisonment for freedom struggle of India. Sri Surendra Kumar later in 1957 after clearing exam of UP Public service joined and served in various distt of UP as Block dev. Officer (gazetted officer) and settled at Khurja distt Bulandshahr after retirement."

वे समिति के रजिस्टर्ड डोनर थे। 27 नवंबर को जब उनका पार्थिव शरीर फिरोजाबाद मेडिकल कॉलेज के लिए भेजा गया, उस समय समाज के कई गणमान्य व्यक्ति वहां उपस्थित थे। गार्ड ऑफ ऑनर के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई। स्व.सुरेंद्र गर्ग की आंखें आर.पी. सेंटर, एम्स में दान की गई। जीवन भर देश की सेवा में लगा व्यक्तित्व जाते-जाते भी मानवता की सेवा कर गया। परिवार जनों का आभार। दिवंगत आत्मा को शत शत नमन ।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री एन.के. गर्ग, 9654 851121

अतुलनीय दान से महाकल्याण तक

श्रीमती विमला साहनी

श्रीमती विमला साहनी का 88 वर्ष की आयु में 30 नवंबर,2022 को निधन हो गया। वे दिल्ली के हौज खास में रहती थीं। निकट संबंधियों ने उनके देहदान का क्रियान्वयन करके चिकित्सा जगत को एक उपयोगी व अतुलनीय दान भेंट किया है। हम दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: देहदान के बाद परिवार से संपर्क नहीं हो सका

रखा धर्म संस्कृति का मान

श्री मोहनलाल रूस्तगी

श्री मोहनलाल रूस्तगी ने 95 वर्ष की आयु में अपनी जीवन यात्रा पूर्ण की। वे पूर्वी दिल्ली में कड़कड़डूमा के अनुपम अपार्टमेंट में रहते थे। यमुनापार में लगभग 68 वर्षों तक संघानुकूल जीवन जीनेवाले वह एक कर्मठ व्यक्ति थे। प्रत्येक स्वयंसेवक से स्नेह का रिश्ता और आत्मीयता उनकी पहचान रही। अपने जीवन में चाहे जो उतार-चढ़ाव रहे, पर संघ कार्य में सक्रियता एक-सी ही थी। 6 वर्ष का प्रचारक जीवन, फिर गृहस्थ, व्यवसाय और संघचालक के लंबे समय तक के दायित्व को उन्होंने श्रद्धा भाव से निभाया। इसके अलावा भी वह किराना कमेटी के महामंत्री, डाक तार सलाहकार समिति के सदस्य, कुष्ठ निवारक संघ के सदस्य रहे। वर्ष 2011 में उन्होंने समिति के माध्यम से अपने देहदान का संकल्प भी लिया। आजीवन समाज सेवा किये और मरणोपरांत भी स्वयं को समाज के लिए उपयोगी होने की इच्छा रही उनकी। शुभ संकल्पवान् परिवारजनों का साधुवाद, उन्होंने स्व. रूस्तगी की इच्छा का सम्मान करते हुए उनकी मृत्यु को भी समाज के लिए उपयोगी बना दिया। 1 दिसंबर, 2022 को स्व. रूस्तगी का पार्थिव शरीर मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए दान किया गया। उनके प्रति उनके पुत्र के श्रद्धा पूर्ण शब्द हैं -"स्मरण कर ऋषि दधीचि को, रखा धर्म संस्कृति का मान। अजर अमर है आत्मा, कर दिया अपने देह का दान।" दिवंगत आत्मा को शत शत नमन।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री प्रवीण रूस्तगी, 70 4258 9348

मानवता के लिए प्रेरक उदाहरण

श्री त्रिमोहन सेठी

श्री त्रिमोहन सेठी 65 वर्ष की आयु में दिवंगत हो गए। वे दिल्ली के कीर्ति नगर में रहते थे। उनकी पत्नी ने बताया कि वे प्रसन्नचित्त, हंसने-मुस्कुराने वाले व्यक्ति थे। उन्हें लिखने का शौक था। गाना, गाना उन्हें बहुत अच्छा लगता था। 2 दिसंबर को मरणोपरांत उनके नेत्र आर.पी .सेंटर ,एम्स की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। दुख की असहनीय घड़ी में भी उनकी पत्नी ने मानवता की सेवार्थ नेत्रदान का क्रियान्वयन करके समाज में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। स्व. सेठी की पत्नी का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पत्नी श्रीमती अंजू सेठी , 88514 64637

समाज को उपहार देकर गए

श्री एस.एस.भाटिया

श्री एस.एस.भाटिया का 87 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे दिल्ली के पश्चिम विहार में रहते थे। उनके पुत्र ने बताया कि वे धार्मिक व्यक्ति थे। जो भी काम हाथ में लेते थे उसे पूरा करके ही छोड़ते थे। उनके नेत्रदान का क्रियान्वयन करके परिवार ने मानवता की सेवा में एक अमूल्य दान दिया है। स्व. भाटिया के पुत्र ने हमें एक लिखित संदेश भेजा है-

"हम इस समाज में पलते तथा बढते हैं, परंतु हम यह भूल जाते है कि जिस समाज से हमने कितना कुछ लिया है तो हमारा दायित्व बनता है हम अपने जीवन के अंतिम क्षणों में इस समाज को कुछ देकर जाएं।"

गुरु नानक आई सेंटर की टीम 3 दिसंबर को ससम्मान उनके नेत्र दान में लेकर गई। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री राकेश भाटिया, 93120 56614

कर्मठ व्यक्तिव और कमाल की सोच

श्री भानु प्रताप सिंह

श्री भानु प्रताप सिंह का 7 दिसंबर को देहांत हुआ। वे दिल्ली के हौज खास में रहते थे। 100 वर्ष की भरपूर आयु और जीवन की उच्चतम उपलब्धियां। उनका विस्तृत जीवन परिचय एक कर्मठ व्यक्ति की कहानी कहता है-

" Mr. Bhanu Pratap Singh Chauhan, born in Jindaura, Uttar Pradesh, lived a happy and eventful life. Born in a large land owner Rajput family, he decided to leave the comforts of home and follow his passion for engineering and mechanics. Initially he established himself as a successful entrepreneur in Kanpur and then joined forced with Escorts India establishing their motorcycle factory which produced the iconic Rajdoot Motorcycle. After retiring as one of the senior-most executives at Escorts, he helped establish an aluminium processing factory and also pursued his passion in art, creating sculptures out of scrap metal which he exhibited and won much acclaim for.

While Mr. Chauhan had deeply ingrained Hindu beliefs, he had no time for rituals and ceremonies. He thought of his body as a machine which one day would finally become irreparable and could then be discarded. ‘If this broken machine can be of any use after it has ceased to be of use to me then it must be utilised’ he opined. Many years ago, he signed up to donate his body to Dehdan. After he passed on at the ripe age of 100 years on December 7th 2022, his children had no hesitation in following their father’s wishes. His mortal remains were to be used to impart learning to students and benefit humankind."

परिवार साधुवाद के पात्र हैं कि उन्होंने स्व.भानु प्रताप की इच्छा का सम्मान करते हुए उनका पार्थिव शरीर एम्स के न्यूरो विभाग में दान किया। दधीचि परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री धीरेंद्र चौहान, 8100 14372

एक रास्ता दिखा गए

श्री मेहताब सिंह ग्रोवर ने 83 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला समाप्त की। वह दिल्ली में पटेल नगर के निवासी थे। उनके पुत्र ने उनके विषय में हमें लिखित जानकारी भेजी है-

"He was a very wise man who uses to guide us. He cared a lot for poor people and believed in donating things. He was a down to earth person."

8 दिसंबर को परिवार जनों ने स्व. मेहताब सिंह के नेत्रों के दान का निर्णय लेकर समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित इनके नेत्र दान में लेकर गई। परिवार का साधुवाद। दधीचि परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिए विनम्र प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री दलजीत ग्रोवर, 98186 04041

जिंदगी भर अपने संस्कार पर

श्रीमती साधना जैन

श्रीमती साधना जैन का 70 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे शक्ति नगर, दिल्ली में रहती थीं। उनके पुत्र ने उनके विषय में आदर सहित लिखित संदेश भेजा है-

"मेरी माता जी बहुत खुश रहने वाली महिला थीं। सबसे बहुत सौहार्दपूर्ण और विनम्र भाव से बात करती थीं। उन्होंने हम बच्चों में अच्छे संस्कार दिए हैं। वे एक धार्मिक महिला थीं। नियमित मंदिर जाना और देव दर्शन करना उन्हें अच्छा लगता था। जैन समाज की बहुत सी संस्थाओं से वे जुड़ी हुई थीं। उनका आकस्मिक जाना हम परिवार जनों के लिए क्षति है।"

14 दिसंबर को स्व. साधना के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई । परिवार का साधुवाद। दधीचि परिवार दिवंगत आत्मा को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र: पुत्र, श्री अमित जैन , 93126 07071

जाते - जाते कर गए उपकार

श्री राधे श्याम जैन

श्री राधे श्याम जैन ने 65 वर्ष की आयु में अपनी इहलीला पूर्ण की। वे दिल्ली के भागीरथी विहार में रहते थे। उनके पुत्र ने श्रद्धा सहित उनके विषय में चर्चा की। स्व. राधेश्याम अपने पुत्र के एक मित्र के पिताजी का देहदान सुनकर इस काम के लिए प्रेरित हुए और उन्होंने अपनी इच्छा भी बताई। स्व. जैन ने दिल्ली जैन कांफ्रेंस के प्रधान संपादक, मार्गदर्शक, श्वेतांबर स्थानकवासी, जैन महासंघ दिल्ली, आर.एस.एस., सेवा भारती व भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता के रूप में काम किया। धार्मिक व सामाजिक कार्यों में इनकी पूर्ण सक्रियता रही। साधु-संतों की सेवा के साथ-साथ स्थानक में सफाई का काम भी ये स्वयं ही करते थे।

14 दिसंबर को स्व. राधेश्याम के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम सम्मान सहित दान में लेकर गई। मानवता की सेवा में किए गए इस महादान के लिए परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री आशीष जैन , 9911 3063 23

परोपकार की बड़ी रेखा खींच गए वह

श्री श्यामसुंदर गोस्वामी

श्री श्यामसुंदर गोस्वामी का 92 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे दिल्ली के जंगपुरा में रहते थे। उनके पुत्र ने आदर सहित उनके बारे में विस्तृत जानकारी लिखकर भेजी है-

"16 दिसंबर को स्व. श्यामसुंदर का पार्थिव शरीर एम्स के न्यूरो विभाग ने अनुसंधान के प्रयोग के लिए दान में लिया । उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर में मानवता की सेवार्थ प्रदान किए गए। इस महादान के क्रियान्वयन के लिए परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा के प्रति हमारी सादर श्रद्धांजलि।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री अनिल गोस्वामी, 98681 66465

दान का मर्म समझा गए

श्री अशोक सहगल

श्री अशोक सहगल का 65 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे दिल्ली के गीता कॉलोनी में रहते थे। उनके पुत्र ने आदर सहित उनके विषय में एक लिखित संदेश भेजा है-

"Shri Ashok Sehgal was a retired A class govt officer and lived a dedicate life to his family. He was a fighter and never gave up, struggled with stroke 8 times in last 12 years of his life. Every time he fought back and recovered defeated life when it knocked him down. He was a philanthropist provider his entire life and performed acts of kindness, without saying a word about them. Lived with his head held high, throughout, he was an amazing teacher for Maths and science subjects, and took it personally to ensure the learning for every student under his wing. He was very fond of cooking as well.

In the final act of service as well, he understood the soul is infinite and free to move on, and the body is a mere mortal physical attachment which can be of great value to those in need. Hence, he donated his organs and body for the benefit of others on his way to final abode, inspired by Radha Swami Satsang Beas."

16 दिसंबर को स्व. अशोक सहगल के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई। यू.सी.एम.एस में चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के उपयोग के लिए स्व. सहगल का पार्थिव शरीर दान किया गया। इस महादान के क्रियान्वयन के लिए परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री अमोल सहगल, 99530 04067

जब सोच में बसता है समाज

श्री हरीश चंद्र अग्रवाल

78 वर्षीय श्री हरीश चंद्र अग्रवाल 20 दिसंबर 2022 को परलोक सिधार गए। वे दिल्ली के रोहिणी में रहते थे। उनके पुत्र ने बताया कि वे सामाजिक रूप से सक्रिय थे। साईं संध्या, साईं समिति, बाल समिति, नेशनल क्राईम रिफॉर्म्स ऑर्गेनाइजेशन जैसी संस्थाओं में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। परिवार जनों ने उनके नेत्रदान का क्रियान्वयन करके समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें, ऐसी हमारी प्रार्थना है।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री दीपक अग्रवाल, 93132 84424

अतुलनीय दान से धन्य आत्मा

श्रीमती कमला शर्मा

श्रीमती कमला शर्मा का 76 वर्ष की आयु में देहांत हुआ । वह दिल्ली के विकासपुरी, में रहती थीं। 19 दिसंबर को उनकी मृत्यु के बाद परिवार जनों ने मानवता की सेवा के लिए, उनके देहदान का निर्णय लिया। वास्तव में यह निर्णय प्रशंसनीय है । मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए यह एक अतुलनीय दान है। चिकित्सा शास्त्र के विद्यार्थी इस पार्थिव शरीर (कैडेवर) को प्रथम गुरु के रूप में सम्मान देते हुए, इस पर शरीर क्रिया विज्ञान का अध्ययन करेंगे। परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री रोहित शर्मा, 99586 61539

इसी को कहते हैं अमर होना

श्रीमती संतोष वाधवा

श्रीमती संतोष वाधवा ने 86 वर्ष की आयु में अपनी जीवन यात्रा पूर्ण की। वे दिल्ली में मानसरोवर गार्डन में रहती थीं। 22 दिसंबर को उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवार जनों ने उनका पार्थिव शरीर राम मनोहर लोहिया अस्पताल को चिकित्सा के अध्ययन के लिए दान किया। चिकित्सा शास्त्र की सेवा में यह प्रशंसनीय व प्रेरक उदाहरण है । परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश चरणों में विनम्र प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र : पुत्री सुश्री नीरा, 98207 71036

अब उनकी आंखें देखेंगी इस खूबसूरत दुनिया को

श्रीमती कमलेश रानी

शाहदरा निवासी श्रीमती कमलेश रानी का 25 दिसंबर को देहांत हुआ। वे 59 वर्ष की थीं। मानवता के सेवार्थ परिवार जनों ने नेत्रदान का निर्णय लेकर समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है । उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान दान में लेकर गई । परिवार का अभिवादन। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री पंकज मेहता, 870 081 0686

हमेशा रहेंगे हमारे साथ

श्री के. आर. शेखर

श्री के. आर. शेखर ने 93 वर्ष की आयु में अपनी जीवन यात्रा पूरी की। वह गुरुग्राम के पालम विहार में रहते थे। उनकी बेटी ने उनके विषय में अपनी भावनाएं इन शब्दों में भेजी हैं -

"It was my father's wish that his body be dedicated to science after his death. As in his life (he was a brilliant electrical engineer and India's renowned battery technologist)so in his death!

Throughout his life he made it his mission to help and mentor young people .I am happy that he would continue to do so with this action of his.

As his family we are very p roud and happy to be able to have been able to fulfill his wishes with the help of your organisation."

स्व. शेखर का पार्थिव शरीर 10 दिसंबर को इएसआई मेडिकल कॉलेज,फरीदाबाद में दान किया गया। चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए यह एक उपयोगी दान है । परिवार का साधुवाद। हम उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्री सुश्री राजेश्वरी प्रकाश, 9873 74 10 17

समाज से प्यार करने वाले

श्रीमती सुभाष भल्ला

श्रीमती सुभाष भल्ला का 74 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे दिल्ली के टैगोर गार्डन में रहती थीं। उनके पुत्र ने आदर सहित उनके विषय में लिखित जानकारी भेजी है-

"Subhash bhalla was a great devotee of Mata Shera wali. She was a woman of her words and deep rooted to her culture and traditions. She had always worked for others and their wellbeing’s. She had done hardship in her entire life and nature her family beautifully.

She was very caring loving and closed to her family she was the binding pillar of each and every relation she had in her life and always believed in good and good deeds.

She was a great social worker who had silently work for the betterment of society and also promoting her cultural values by lending a room for the office Ram ji karyalaya, donations for Ayodhya Ram mandir, donations for RSS Delhi Mukhyalaya.

She had also extended her arms for Sewa bharti work is marriages of girls, help in form of donations, materials and clothes etc. She had also undertaken the pride of kanya and Gau daan in her life. Last but not the least at the last ritual of her life journey she had donated her eyes as an anonymous person in hope that from her vision humanity can be restored and can give meaning to someone else’s life ."

उनके परिवार ने 21 दिसंबर को उनके नेत्र गुरु नानक आई सेंटर में दान में दिए। इस महादान के क्रियान्वयन के लिए परिवार जनों का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री गौरव, 95823 02657

ऐसी सोच ही बचाती है दुनिया

श्री बुलाकी राम सचदेवा

श्री बुलाकी राम सचदेवा का 85 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे दिल्ली के रोहिणी में रहते थे। उनके पुत्र ने आदर सहित उनके विषय में चर्चा की। वे बहुत परिश्रमी व्यक्ति थे। कैसी भी समस्या हो, उन्होंने उसका सामना मुस्कुराते हुए ही किया। घर में सबसे बड़े थे और उन्होंने परिवार को हमेशा जोड़ कर रखा। समिति के एक कार्यक्रम में उपस्थित रहने पर उन्हें नेत्रदान के लिए प्रेरणा मिली।

23 दिसंबर को उनकी मृत्यु के बाद परिवार ने उनके नेत्रदान का निर्णय लेकर समाज में प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। इस अतुलनीय दान के क्रियान्वयन के लिए परिवार का साधुवाद। गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान उनके नेत्र दान में लेकर गई। दिवंगत आत्मा को ईश्वर अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री दीपक सचदेवा, 95998 93029

उनकी आंखें दिखाएंगी रास्ता

श्री हंसराज नागपाल

श्री हंसराज नागपाल का 84 वर्ष की आयु में देहांत हुआ। वे दिल्ली के रोहिणी में रहते थे। उनकी पुत्रवधू ने आदर सहित उनके विषय में लिख कर भेजा है-

"हमारे पिताजी उच्च विचारों वाले व्यक्ति थे। उन्होंने अपने पूरे जीवन में अपने परिवार को एक साथ रखा। वे कर्म करने में विश्वास रखते थे। आरएसएस में उनका बहुत बड़ा योगदान था। वे बीजेपी के प्रमुख कार्यकर्ता रहे। उन्हें समारोह में जाना बहुत पसंद था। सामाजिक कार्यों में व्यस्त रहते थे। अतः मैं यही कहूंगी कि उनका व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली था। आंखें दान करने का निर्णय भी उनका अपना ही था।"

परिवार ने 24 दिसंबर को स्व. हंसराज के नेत्र गुरु नानक आई सेंटर को दान में दिए। इस महादान से परिवार ने समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। हम दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्रवधू सीमा नागपाल, 96436 20243

हमेशा बने रहेंगे साथ

श्री ऋषभ जैन

श्री ऋषभ जैन का 86 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे दिल्ली के शालीमार बाग में रहते थे। उनके पुत्र ने सादर उनके बारे में लिखकर भेजा है-

"My father Late Mr. Rishabh Kumar Jain born and brought up in a very reputed Jain family of Pahari Dhiraj, Sadar Bazar Delhi. He is the eldest of all his siblings, and has taken very good care of all of them after the demise of his father when he was around 28 years old. He was a fatherly figure for them. He was a self made man, who has worked very hard along with his wife to set up a Toys manufacturing Company in Delhi. He was one of the Pioneers who started manufacturing of Toys in India. He was a very lively and of very Jolly nature who was liked by all his Friends and relatives. His absence among us has left a void in our life. The decision to donate his Eyes was taken by his younger son Dinesh Jain, who felt that by donating his eyes not only gives light to many people but by doing so he will always be along with us."

गुरु नानक आई सेंटर की टीम उनके नेत्र 24 दिसंबर को दान में लेकर गई। इस महादान के क्रियान्वयन के लिए परिवार का साधुवाद। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री दिनेश , 98110 12957

सात्विक जीवन, शुद्ध विचार

श्रीमती शकुंतला देवी

श्रीमती शकुंतला देवी ने 93 वर्ष की आयु में 26 दिसंबर,2022 को अपनी जीवन यात्रा पूर्ण की। वह नई दिल्ली के बंगाली मार्केट में रहती थीं। उनके पुत्र ने आदर सहित अपनी माताजी के प्रति अपनी भावनाएं इन शब्दों में व्यक्त की हैं-

"हमारी पूज्य माता जी सात्विक जीवन, शुद्ध खानपान, शुद्ध विचार वाली और सबपर प्यार लुटाने वाली थीं। जिंदगी भर वह सबका सम्मान प्राप्त करती रहीं। वह केवल कक्षा चार तक पढ़ी थीं, लेकिन धार्मिक, सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र में अपना पूरा अनुभव रखती थीं।

अपनी मीठी वाणी से शादी और तीज-त्यौहार में भजन-गीत गाकर सबका मन मोह लेती थीं। हमारे तीन दादाओं के संयुक्त परिवार को उन्होंने प्रेम से बांधे रखा। अंत समय में भी किसी को कष्ट न देकर शांति पूर्वक विदा हो गईं। मानवता के भले के लिए उनके नेत्रों का दान दधीचि देहदान समिति के सहयोग से किया गया।"

नेत्रदान के क्रियान्वयन के लिए परिवार का साधुवाद। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री अशोक कुमार गुप्ता , 98111 35682

एक सरल जिंदगी और अतुलनीय दान

श्रीमती जनक सेठी

श्रीमती जनक सेठी का 83 वर्ष की आयु में देहांत हो गया। वे दिल्ली के राजौरी गार्डन में रहती थीं। बहुत परिश्रम से उन्होंने अपना जीवन यापन किया व अपने तीनों बच्चों को योग्य बनाया। अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को उन्होंने बखूबी निभाया। 26 दिसंबर को मरणोपरांत उनके पुत्र ने परिवार में देहदान की सहमति बनाई और देहदान की प्रक्रिया को पूर्ण किया।

स्व. सेठी के पुत्र कई वर्षों से समिति के साथ जुड़े हैं। परिवार का साधुवाद। आर्मी मेडिकल कॉलेज में इनका पार्थिव शरीर दान किया गया। चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए यह एक अतुलनीय दान है। योग्य चिकित्सकों के निर्माण के लिए यह पार्थिव शरीर प्रथम गुरु के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका में रहता है। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए समिति परिवार ईश्वर से प्रार्थना करता है।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री यशवीर सेठी , 98101 19279

ये कहानी एक उदाहरण है

श्रीमती प्रेम कुमारी गोस्वामी

श्रीमती प्रेम कुमारी गोस्वामी का 85 वर्ष की आयु में 29 दिसंबर,2022 को देहावसान हुआ। वे दिल्ली में जंगपुरा की निवासी थीं। उनके पुत्र ने श्रद्धा पूर्वक उनके विषय में लिख कर भेजा है-

"श्रीमती प्रेम कुमारी गोस्वामी की प्राथमिक शिक्षा पाकिस्तान में फैसलाबाद के चिन्योत गांव में हुई। 1947 के विभाजन में अपने छोटे भाई के साथ अमृतसर पहुंच गई और बाकी परिवार पीछे छूट गया। दोनों बहन-भाई शरणार्थी कैंप में रहते थे और दान पुण्य की रोटी से गुजारा करते थे। फिर संयोगवश मां भी मिल गईं। सब लोग दिल्ली आ गए और बहुत कष्ट भरे बचपन से संघर्ष करते हुए 17 साल की उम्र में मैट्रिक पास की। टाइप सीखी। सरकारी नौकरी भी 40 वर्ष तक की। गृहस्थ जीवन के साथ-साथ योजना आयोग, फाइनेंस मंत्रालय, बैंकिंग विभाग में काम करते करते सेवानिवृत्त हुईं। तत्पश्चात अपने पति के साथ भारत पेंशनर समाज में स्वयं सेवक बनकर अंतिम सांस तक पेंशनर्स की सेवा में लगी रहीं। 6 महीने पहले ही अपने पति श्याम सुंदर जी की देहदान की प्रतिज्ञा में सहमति दिखाई और पति की तेरहवीं के दिन ही इन्होंने भी देह त्याग दी। गुरु नानक आई हॉस्पिटल को नेत्रदान व एम्स को देहदान कर के परिवार वालों ने उनकी अंतिम इच्छा को पूरा किया।"

परिवार ने मानवता के सेवार्थ इनके नेत्रदान व देहदान करके समाज के लिए एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। परिवार का साधुवाद। स्व.प्रेमकुमारी का पार्थिव शरीर चिकित्सा संबंधी अध्ययन के लिए उपयोग में लाया जाएगा। दिवंगत आत्मा को समिति परिवार अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है ।

संपर्क सूत्र: पुत्र श्री अनिल गोस्वामी, 98681 66465

ऐसे विचार सब तक पहुंचे

श्री राजकुमार गुप्ता

श्री राजकुमार गुप्ता का 75 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वे नई दिल्ली के बंगाली मार्केट में रहते थे। उनके भाई ने हमें उनके विषय में लिखित जानकारी भेजी है-

 "हमारे बड़े भाई साहब श्री राजकुमार गुप्ता अपने जीवन के 75 वर्ष पूरे कर के 30 दिसंबर को बैकुंठ प्रस्थान कर गए। वे हम सात भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। बड़े होने के नाते, वे हम सब भाई- बहनों की पढ़ाई और आवश्यकताओं का पूरा ध्यान रखते थे। परिवार की जिम्मेदारी, रिश्तेदारी में आना-जाना, वे सब निभाते थे। कुछ समय से हृदय रोग से पीड़ित थे। इसके बावजूद अंत समय में किसी को कष्ट न देकर शांतिपूर्वक अंतिम सांस ली। मानवता के भले के लिए अपने नेत्रों का दान दधीचि देहदान समिति के सहयोग से नेत्र बैंक को किया। इसके अलावा इनको पेसमेकर जो हृदय रोग के लिए लगा हुआ था, उसको भी हमने दान कर दिया ताकि किसी जरूरतमंद हृदय रोगी को लग सके।"

गुरु नानक आई सेंटर की टीम ससम्मान इनके नेत्र दान में लेकर गई। दधीचि परिवार दिवंगत आत्मा के प्रति अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

संपर्क सूत्र: भाई श्री अशोक गुप्ता , 98111 35682

मानवता का असली मर्म

श्री योगेश पुरी

श्री योगेश पुरी का 82 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह पूर्वी दिल्ली में प्रीत विहार में रहते थे। परिवार जनों ने उनकी मृत्यु के पश्चात 30 दिसंबर को उनका पार्थिव शरीर मां अमृतानंदमई मेडिकल कॉलेज में दान किया । चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए यह दान अमूल्य व अतुलनीय है । परिवार का साधुवाद । दिवंगत आत्मा की शांति के लिए हम प्रार्थना करते हैं ।

संपर्क सूत्र: दान के पश्चात परिवार से संपर्क नहीं हो सका

परोपकार से प्यार

श्री सुरेंद्र कालरा

श्री सुरेंद्र कालरा का 72 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ। वह दिल्ली में नया बाजार के निवासी थे। उनके भतीजे ने फोन पर उन्हें आदर पूर्वक याद करते हुए चर्चा की। स्व. कालरा स्वामी गीतानंद जी को गुरु मानते थे और भक्तिभाव से धार्मिक कार्यों में लगे रहते थे। परिवार में छोटे-बड़े सब बच्चों से उन्हें लगाव था। बहू-बेटियां सब के प्रति एक सा प्रेम पूर्ण व्यवहार था उनका। उनका बात करने का एक विशेष शायराना अंदाज था। परिवार द्वारा 31 दिसंबर को स्व. कालरा के नेत्रदान का क्रियान्वयन करना समाज में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करता है। परिवार का साधुवाद। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

संपर्क सूत्र: भतीजा श्री कृष्ण कालरा , 98107 65695