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नई कार्यकारिणी की पहली बैठक

दधीचि देह दान समिति की कार्यकारिणी की बैठक 19 अगस्त, 2018 को, लेडी हार्डिंग मेडिकल काॅलेज के फैकल्टी आॅडिटोरियम में सम्पन्न हुई। मंत्रोच्चार और दीप प्रज्ज्वलन के साथ बैठक प्रारम्भ हुई। सर्वप्रथम देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी गई। श्री आलोक कुमार ने इस कविता के माध्यम से श्री अटल जी को याद किया:-

मैं जी भर जिया मौत से क्यों डरूं
लौट कर आऊंगा कूच से क्यों डरूं।

समिति के संरक्षक श्री आलोक कुमार ने अटल जी को श्रद्धापूर्वक याद करते हुए बताया "उनका दधीचि देह दान समिति पर विशेष स्नेह था। समिति की पहली स्मारिका में उन्होंने संदेश भी भेजा था। विधान सभा के 38 विधायकों ने उस समय नेत्र दान का संकल्प लिया था। मैंने उन्हें इस कार्यक्रम के विषय में बताया। उन्होंने सुना और अपने चिरपरिचित अंदाज़ में कहा, उपाध्यक्ष जी नेत्र दान के लिए कार्यक्रम नहीं क्रियाकर्म किया जाता है। अटल जी का व्यक्तित्व ही ऐसा था की विदेश की कोई समस्या आने पर पार्टी से ऊपर देश को रख कर देखते थे। यही कारण है कि आज उन्हें सारा देश याद कर रहा है।’’

दिल्ली के पूर्व विधायक व भारतीय जनता पार्टी के एक दबंग कार्यकर्ता श्री साहिब सिंह चैाहान को भी श्रद्धांजलि दी गई। श्री आलोक कुमार ने बताया कि अंग दान व देह दान के विषय पर उनकी कभी सहमति नहीं बनी।

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मदन लाल खुराना के पुत्र श्री विमल खुराना, समिति के कार्यों के लिए सक्रिय होना चाहते थे। बहुत उत्साह से अंग दान का फार्म भी भरा था। उम्र के पांचवें दशक में श्री विमल खुराना की 17 अगस्त, 2018 को मृत्यु हो गई। उनके नेत्र दान किए गए।

सभी सदस्यों द्वारा उनकी दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए 2 मिनट का मौन रख कर प्रार्थना की गई।

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए समिति के महामंत्री श्री कमल खुराना ने समिति के कार्यालय मंत्री से फिल्म दिखाने का अनुरोध किया। श्री नवीन मीरपुरी द्वारा निर्मित यह एक मार्मिक लघु फिल्म "Live To Give" थी। इस फिल्म में एक माता-पिता, अपने युवा बेटे रंजीत शर्मा की दुर्घटना में हुई मस्तिष्क मृत्यु के बाद, डाॅक्टरों द्वारा अंग दान का सुझाव दिए जाने पर, बेटे के अंगों के दान के लिए तैयार हुए। दुःख की घड़ी में मनोमंथन के बाद उन्हें महसूस हुआ कि अंगों के दान के बाद उनका बेटा कई लोगों के अंदर जीवित रहेगा। उसके नेत्र दुनिया को बदस्तूर देख सकेंगे। उसका दिल धड़कता रहेगा। इस फिल्म का स्पष्ट संदेश था, ’’जीवन समाप्त होने के बाद भी दूसरों के जीवन में खुशियां ला सकते हैं।’’फिल्म की प्रस्तुति के समय कई दर्शकों की आंखों में आंसू छलक रहे थे।

इसके बाद समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा, "कार्यकारिणी इस आंदोलन को दिल्ली और एनसीआर में चलाती है। एक अनुमान के अनुसार सभी ज़ोन्स में, देह/अंग दान को लेकर प्रतिदिन 15-20 फोन आते हैं। समिति का कार्य इतना बढ़ गया है कि कार्यकारिणी की बैठक को वार्षिक के बजाए वर्ष में दो बार करने का फैसला लिया गया है। अनेक कार्यक्रमों जैसे योग शिविर आदि में आयोजक समिति को आमंत्रित करते हैं और उसके स्टाॅल लगाते हैं। ज़ोन्स के कार्यकर्ता इतने अच्छे वक्ता बन चुके हैं कि आसानी से समिति के मकसद को आम लोगों को समझा देते हैं और प्रेरित कर लेते हैं। समिति की उपलब्धियों का श्रेय पूरी टीम को जाता है। हमारी टीम, इस वर्ष दधीचि जयंती के अवसर पर एक दधीचि कथा करने को लेकर भी काफी उत्साह में है।"

इस वर्ष 11 मार्च 2018 से 15 मई 2018 तक 7 क्षेत्रों के 6 कार्यक्रम हुए, जिनमें लगभग 800 संकल्पित महानुभावों ने हिस्सा लिया। जबकि, पूर्व में, प्रति वर्ष लगभग 200 व्यक्ति संकल्प लेते थे। यह एक बड़ी उपलब्धि है।

डाॅक्टर विशाल चड्ढा ने बताया कि ई-मेल डाटा के ज़रिए वेब पत्रिका की पहुंच 4 हज़ार लोगों तक हो चुकी है। पाठकों का रिस्पाॅन्स बहुत अच्छा आ रहा है। डाॅक्टर कीर्तिवर्धन साहनी ने दधीचि यात्रा के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यात्रा 24 नवम्बर, 2018 को नेमिशारण्य जाएगी और वापसी 26 नवम्बर, 2018 को होगी।

सोशल मीडिया कमेटी की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए श्री आशीष अग्रवाल ने कुछ बिन्दु पाॅवर प्वाइंट प्रेज़ेन्टेशन के माध्यम से कार्यकारिणी के सामन रखे:-

  1. नई वेबसाइट बन कर तैयार है। इसमें हाल ही में हुए दान को फोटो सहित हाईलाइट किया है। पुराने सभी ई-जर्नल के लेखों को संकलित और नए ई-जर्नल का लिंक दिया गया है। समिति की नई टीम, प्रेज़ेन्टेशन और नई जानकारियां भी सुनिश्चित की गई हैं।
  2. समिति के सभी छोटे-बड़े कार्यक्रमों को अब फेस बुक पर पोस्ट किया जाता है। पिछले दिनों हुए कुछ उत्सवों का भी face book live किया गया है।
  3. ट्विटर पर अभी उपस्थिति कम है। इसको बढ़ाने का प्रयास शुरू कर दिया गया है। परिणाम दिखने में समय लगेगा।

इसके बाद सभी आठ क्षेत्रों के अध्यक्षों ने अपने-अपने क्षेत्र में किए गए आयोजनों और उपलब्धियों की विस्तार से जानकारी दी।

कार्यकारिणी की इस बैठक में यह भी सामने आया कि समिति को गुरुद्वारों से अच्छी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं।

सुझाव सत्र में कई महत्वपूर्ण सुझाव आए। जैसे टाइम्स आॅफ इण्डिया और एनडीटीवी के अंग दान प्रचार अभियानों के साथ समिति को जुड़ना चाहिए। ’लेट अस लिव फाॅर एवर’ जैसे किसी भी नेटवर्क से जुड़ा जा सकता है। मजलूम, गरीब तबके तक भी समिति अपना दायरा बढ़ाए और उन्हें देह/अंग दान के लिए जागरूक व प्रेरित करे। डाॅक्टरों और चिकित्सा विद्यार्थियों में जागरूकता को बढ़ाना होगा। इसके लिए प्रथम वर्ष के चिकित्सा छात्रों के लिए एक घंटे का लेक्चर रखा जा सकता है। अंग रिट्रीवल सेन्टर्स की क्षमता और कार्यशीलता में कमी को दूर करना होगा। अमेरिका की तरह काउन्सलर्स, प्रत्यारोपण के लिए देह/अंग दान को बढ़ावा दे सकते हैं। फिल्म थियेटरों में फिल्म शुरू होने से पहले समिति की ओर से देह/अंग दान के विज्ञापन दिखाए जाएं।

समिति के महामंत्री श्री कमल खुराना ने बैठक में विशेष रूप से आमंत्रित अतिथियों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, ‘‘फ़रीदाबाद क्षेत्र में हमारे कार्य के पूर्ण सहयोगी ई.एस.आई. मेडिकल काॅलेज के एनाॅटमी विभाग के अध्यक्ष डाॅक्टर अजय नेने व डाॅक्टर ए.के. पाण्डे की उपस्थिति ने हमारी बैठक को उपयोगी बनाया। डाॅक्टर मोंगा, डाॅक्टर एस.सी.एल. गुप्ता, वरिष्ठ समाजसेवी श्रीमती मन्जू वैश हमारी अधिकांश बैठकों में आकर हमारे कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन करते हैं। डाॅक्टर मंगला कोली, विभागाध्यक्ष एनाॅटमी, सफ़दरजंग अस्पताल एक समर्पित कार्यकर्ता की तरह हमारा सहयोग करती हैं। आॅर्गन इण्डिया से डाॅक्टर सुनयना अपने दो साथियों के साथ हमारे बीच उपस्थित हैं। आज के सारे आयोजन में इस हाॅल की अनुमति से लेकर और अन्य व्यवस्थाओं में भी लेडी हार्डिंग की डाॅक्टर शीतल जोशी का हमें पूरा-पूरा सहयोग मिला है। आज वह हमारे बीच अपने परिवार के साथ आई हैं। अब वह हमारे दधीचि परिवार का एक हिस्सा बन चुकी हैे।’’

अंत में संरक्षक श्री आलोक कुमार ने समिति के कार्य पर संतोष जताया। उन्होंने कहा, ’’मेरे लिए आज का दिन बहुत संतोष का है। आज की रिपोर्ट्स से स्पष्ट है टीम ने एक वर्ष में समिति के कार्य को कई गुणा आगे बढ़ाया है। समिति की स्वीकार्यता बढ़ रही है। गुणवत्ता में सुधार आया है।देश की प्रथम महिला महामहिम राष्ट्रपति की पत्नी ने भी देह दान का संकल्प लेने की इच्छा व्यक्त की है। समिति की एक विशेषता यह भी है कि इसके सभी कार्यकर्ता वेतनभोगी नहीं हैं और न ही समिति को अब तक किसी भी आयोजन के लिए कार्यक्रम स्थल का भुगतान करना पड़ा है। श्री आलोक ने अपील की कि अंग प्रत्यारोपण के लिए जल्दी ही दिल्ली की प्रतीक्षा सूची को खत्म किए जाने का प्रयास किया जाए। ज़रूरत के मुताबिक चिकित्सा विद्यार्थियों को केडेवर उपलब्ध हों।’’

अंत में, उत्साहपूर्वक सक्रियता से भाग लेने के लिए सभी सदस्यों व विशिष्ट आमंत्रितों का धन्यवाद करते हुए, समिति के महामंत्री श्री कमल खुराना ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया।