देहदानियों का 56वां उत्सव
वैज्ञानिक शिक्षा से ले कर आध्यात्मिक प्रेरणा तक
16 मार्च 2025 को दिल्ली कैंट स्थित आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज, बरार स्क्वेयर में दधीचि देहदान समिति ने “देहदानियों का 56वां उत्सव” भव्य रूप से आयोजित किया। इस मौके पर 411 संकल्पकर्ताओं को प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए और 35 नेत्र, अंग और देहदान करने वाले परिवारों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में शामिल न्यायमूर्ति श्री गिरीश कथपालिया (दिल्ली उच्च न्यायालय) ने इस कार्य को “सर्वश्रेष्ठ कार्य” कहा और घोषणा की कि वे स्वयं भी देहदानी परिवार का हिस्सा हैं।

एनाटॉमी की प्रोफेसर डॉ. शेफाली मदन रूस्तगी,ने पीपीटी के माध्यम से अंगदान की अनिवार्यता और वैज्ञानिक महत्ता को सरल भाषा में समझाया। ब्रह्माकुमारी शिल्पा दीदी ने आध्यात्मिक दृष्टिकोण से कहा कि “दान तो नश्वर शरीर का होता है, जो मुक्ति में बाधक नहीं है।”लेफ्टिनेंट कर्नल चेतना शर्मा, सीनियर ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर, ने एक प्रेरणादायक कविता सुनाई और एक सैनिक परिवार की कहानी साझा की, जिन्होंने अंगदान से अपनी वीर संतान को अमर कर दिया।
समिति द्वारा विभिन्न कॉलेजों एवं स्कूलों में आयोजित रंगोली, चित्रकला, नुक्कड़ नाटक आदि गतिविधियों में प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र व उपहार देकर पुरस्कृत किया गया। स्कूल बच्चों द्वारा रैप सॉन्ग के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि जागरूकता की शुरुआत किसी भी उम्र में हो सकती है।
बत्रा जी ने अपनी माता के नेत्रदान के बाद मिली आत्मिक संतुष्टि को साझा करते हुए कहा कि संकल्प पूरा होने पर मिला संतोष "असली लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड" जैसा था।

समिति के अध्यक्ष एवं केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा जी ने समिति की स्थापना से लेकर इसे एक विशाल अभियान बनाने की प्रेरक यात्रा बताई। महामंत्री कमल खुराना जी ने मंच पर दानदाताओं को "वास्तविक नायक" बताते हुए सम्मानित किया। पश्चिम क्षेत्र संयोजक जगमोहन सलूजा जी ने धन्यवाद ज्ञापन में सभी अतिथियों, दानी परिवारों, संकल्पकर्ताओं एवं कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया।

समारोह का शुभारंभ सुनीता चड्ढा जी द्वारा मंत्रोच्चारण और समापन पूनम मल्होत्रा जी द्वारा ‘कल्याण मंत्र’ उच्चारण से हुआ। सभी उपस्थित लोगों ने “सर्वे संतु निरामयाः” की भावना अपनाई और संकल्प लिया कि वे अपने जीवन में भी देहदान, अंगदान तथा सेवा को आगे बढ़ाएंगे।