Home
Print
Next
Previous

देहदानियों का 38वां उत्सव - गाज़ियाबाद क्षेत्र

इस वर्ष दधीचि देहदान समिति का ’’देहदानियों का 38वां उत्सव ’’ रविवार 14 अप्रैल 2019 का प्रातः साढ़े नौ बजे आई.टी.एस. काॅलेज, मोहन नगर, गाज़ियाबाद में सम्पन्न हुआ। इस वर्ष नौ देहदान/अंगदान करने वाले परिवारों को सम्मानित किया गया व 160 ऐसे लोगों को सम्मानित किया गया जिन्होंने पिछले एक वर्ष में, मरणोपरान्त, देहदान या अंगदान का संकल्प पत्र भरा था। उन्हें परिचय पत्र, प्रमाणपत्र और वसीयत वितरित किए गए।

कार्यक्रम का प्रारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ, जिसके पश्चात मंचासीन अतिथियों का सम्मान किया गया। दधीचि देहदान समिति, गाज़ियाबाद एवं नोएडा के संयोजक श्री अविनाश चन्द्र वर्मा ने समिति के बारे में विस्तृत जानकारी दी। लेडी हार्डिंग मेडिकल काॅलेज, दिल्ली में एनाॅटमी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शीतल जोशी ने पी.पी.टी. के माध्यम से देहदान व अंगदान के बारे में विस्तार से बताया। मानव मन्दिर ट्रस्ट के संस्थापक पूज्यनीय आचार्य रूपचन्द्र जी महाराज का सान्निध्य व आशीर्वाद मिला। आचार्य जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि मृत्यु के पश्चात शरीर बेकार हो जाता है और पंचतत्व में लीन हो जाता है। उन्होंने कहा, अगर मृत शरीर मेडिकल काॅलेज के छात्रों को प्रेक्टिकल पढ़ाई के लिए दे दिया जाए, जिससे वो मेडिकल से सम्बंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकें, तो इससे बड़ी मानव सेवा नहीं हो सकती। उन्होंने यह भी कहा कि जो ऋषि-मुनि जंगलों में तपस्या करके शरीर त्यागते हैं, उनकी मृत देह भी जंगली जानवारों के काम आती है व उन्हें भी मोक्ष मिलता है। अतः, मनुष्य को ऐसा भ्रम, कि देहदान के बाद मोक्ष नहीं मिलेगा, मन से निकाल कर मानव जाति के कल्याण हेतु अंगदान व देहदान जैसे महादान का संकल्प अवश्य लेना चाहिए।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. आर.के. अग्रवाल ने समिति के कार्य की सराहना के साथ-साथ दानकर्ताओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की।उन्होंने कहा कि जीते जी रक्तदान व मरणोपरांत अंगदान या देहदान से बड़ा कोई दान नहीं हो सकता। व्यक्ति की मृत्यु के बाद नेत्र दान करने से अगर 4-6 लोगों की आंखों की रोशनी आ जाए तो इससे बड़ा और क्या काम हो सकता है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री आर.पी. चड्ढा, अध्यक्ष, आई.टी.एस. एजुकेशन ग्रुप ने समिति के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि आज के समय में अंगदान, नेत्र दान व देहदान की बहुत अधिक ज़रूरत है। प्रत्यारोपण के लिए मानव अंगों के न मिलने से कितने ही लोग विकलांग हैं या असामयिक मृत्यु के शिकार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जैसे श्रीलंका में नेत्र दान ज़रूरी है और इसीलिए अब वहां कोई नेत्र हीन नहीं है, वैसा ही नियम भारत में भी लागू होना चाहिए। साथ ही, अंगदान के नियमों को आसान बनाया जाना चाहिए।

कार्यक्रम के अंतिम पड़ाव में दधीचि देहदान समिति के अध्यक्ष व मुख्य वक्ता श्री हर्ष मल्होत्रा ने समिति की कार्यप्रणाली की विस्तृत जानकारी दी व अंगदान तथा नेत्र दान कर चुके परिवारों और नए संकल्पित लोगों को धन्यवाद दिया और कहा कि वो समाज व देश के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। श्री मल्होत्रा ने इस उत्सव के सफल आयोजन के लिए गाज़ियाबाद क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की टीम को बधाई दी।

इस उत्सव के आकर्षण का मुख्य केन्द्र रहीं 19 वर्षीय सुश्री मानसी, जो राष्ट्रीय स्तर की ‘मिसइन्डिया’ प्रतियोगिता में दिल्ली का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। सामाजिक दायित्वों से सम्बंधित प्रोजेक्ट के तहत मानसी ने देहदान व अंगदान को एक विषय के रूप् में चुना है। अपने सारगर्भित अन्तर्कथन में उन्होंने कहा कि ‘‘इस प्रकार के दान से हम समाज में खुशियां बांट सकते हैं’’।

अंत में डॉ. एच.एच.डी. भारद्वाज ने सभी देहदानियों, संकल्पित लोगों, अतिथियों व आगंतुकों का धन्यवाद किया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती संध्या सक्सेना व श्री वी.के. अग्रवाल ने किया। कार्यक्रम में श्री कमल खुराना, श्रीमती मंजू प्रभा, डाॅ. विशाल चड्ढा, श्री राकेश अग्रवाल, डाॅ. कमल अग्रवाल, डाॅ. मधु पोद्दार, श्री अशोक अग्रवाल, श्री मनु गर्ग व श्री अंकित कुमार सहित 250 लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में सभी ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया।