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दूसरी दधीचि दर्शन यात्रा

दधीचि देह दान समिति द्वारा आयोजित दूसरी दधीचि दर्शन यात्रा 21 नवम्बर, 2015 की रात को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से रवाना हुई। इस यात्रा में समिति के अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अध्यक्ष श्री आलोक कुमार, पूर्वी दिल्ली नगर निगम के महापौर एवं समिति के महामंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा सहित 41 तीर्थ यात्री शामिल हुए।

यात्रा के प्रस्थान से पहले नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर धर्म यात्रा महासंघ के श्री रामअवतार शर्मा सहित अनेक कार्यकर्ताओं ने सभी यात्रियों को तिलक लगा कर एवं पटके पहना कर उनकी यात्रा के मंगलमय होने की कामना की।

अगले दिन सुबह 6 बजे हरदोई रेलवे स्टेशन पर सभी यात्री उतर गए, जहां स्थानीय लोगों ने उनका स्वागत किया। वहां से सभी यात्री बस द्वारा सुबह 7ः30 बजे नेमिषारण्य स्थित हनुमानगढ़ी पहुंचे। वहां की एक धर्मशाला में सभी यात्रियों के नहाने और नाश्ता करने का इंतज़ाम था। नहाने और नाश्ता करने के बाद सभी हनुमानगढ़ी के मंदिर अंदर हनुमानजी की विशिष्ट मूर्ति के दर्शन करने गए। मंदिर में महंत श्री बजरंग नाथ दास ने सभी से आरती करवाई। इसके बाद सभी बस में बैठे और मिश्रिख स्थित महर्षि दधीचि मंदिर के दर्शन हेतु चल पड़े।

महर्षि दधीचि मंदिर पहुंचने पर परिसर में बने दधीचि कुंड के सबसे पहले दर्शन किए गए। फिर मंदिर के अंदर महर्षि दधीचि की प्रतिमा के दर्शन किए। मंदिर में सभी यात्रियों से मुख्य पुजारी ने पूजा करवाई। सभी यात्रियों की ओर से यह पूजा श्रीमती सत्यवती चैधरी ने की। इसके बाद सभी ‘स्वस्थ, सबल भारत’ गोष्ठी में शामिल होने के लिए मंदिर के प्रांगण पहुंच गए।

‘स्वस्थ, सबल भारत’ गोष्ठी का संचालन स्वागत समिति के स्थानीय संयोजक श्री तुषार साहनी ने किया। स्वागत समिति के दो अन्य सदस्यों श्री अजय गुप्ता और श्री जयकार नाथ कपूर के साथ आशीष मिश्रा ‘मीतू’, ललिता देवी मंदिर के महंत व अन्य अनेक प्रमुख लोगों ने गोष्ठी में अपनी-अपनी बात रखी। मुख्य वक्ता पूर्वी दिल्ली नगर निगम के महापौर व समिति के महामंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए समिति के कार्यों का उल्लेख किया और उसके पुनीत कार्य को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। श्री हर्ष मल्होत्रा के बाद दधीचि देह दान समिति के अध्यक्ष और दिल्ली आरएसएस के सह-प्रान्त संघचालक श्री आलोक कुमार ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में देह-अंग दान के महत्व को समझाया तथा विश्वास दिया कि समिति और संघ का लक्ष्य है देश को अंधतामुक्त करना। गोष्ठी के अंत में महर्षि दधीचि मंदिर के महंत श्री देवदत्त गिरि ने आर्शीवचन कहे तथा प्रसाद के रूप में भोजन हेतु सभी को आमंत्रित किया। भोजन के बाद यात्रीगण बस में बैठ नेमिषारण्य के लिए चल पड़े।

दोपहर 3 बजे बस नेमिषारण्य पहुंची, जहां सभी ने शक्तिपीठ ललिता देवी मंदिर में मां के दर्शन किए और पास में ही स्थित चक्रतीर्थ के दर्शन के लिए चल पड़े। चक्रतीर्थ में श्री अरविंद ने सभी यात्रियों को चक्रतीर्थ और नेमिषारण्य की महत्ता के बारे में विस्तार से बताया। चक्रतीर्थ-दर्शन के बाद सभी व्यास गद्दी पहुंचे। और, व्यास गद्दी के दर्शन करने के बाद सभी यात्री बस में बैठ कर लखनऊ के लिए रवाना हो गए, जहां से उन्हें नई दिल्ली वापसी के लिए रात्रि की ट्रेन पकड़नी थी।

तीर्थ स्थानों के दर्शन से अभिभूत सभी यात्रियों के मन में संतोष व आनंद का भाव था। एक दिन की दधीचि दर्शन यात्रा तो पूर्ण हुई, पर इस यात्रा ने सबको यह निश्चय करने की प्रेरणा दी कि ‘मानव जीवन में कुछ तो हम भी कर सकते हैं।’ मन में महर्षि दधीचि के महादान के कृत्य को अनुकरणीय मान कर ही आगे की अपनी जीवन यात्रा पूरी करने के संकल्प के साथ ही सभी लखनऊ की ओर बढ़ रहे थे।

रात्रि के 8ः30 बजे बस लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पहुंची। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के रेलवे स्टेशन पर स्थित कमसम रेस्टोरेंट में रात का भोजन किया गया और फिर ट्रेन में बैठ कर सभी यात्री नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए। अगले दिन 23 नवम्बर की सुबह को नई दिल्ली वापसी के साथ ही सभी की यह पावन यात्रा सम्पन्न हो गई।

 

एक साल में ही हो गया मिश्रिख का विकास
हरदोई से मिश्रिख तक की सड़क नई बनी है, पक्की है, चैड़ी है और इसलिए वहां पहुंचने में सुगमता हो गई है। मिश्रिख की अंदर की सड़कें भी सुधर गई हैं। मंदिर के पिछवाड़े का एक बड़ा हिस्सा, जो मंदिर का भाग नहीं था, उसमें शिव जी का एक बड़ा मंदिर बना है और उसको भी अब मुख्य परिसर में शामिल कर लेने से परिसर बड़ा भी हुआ है और शोभित भी हुआ है। मंदिर का मुख्य द्वार भी नया बनाया गया है। और इस दृष्टि से एक वर्ष में ही बड़े परिवर्तन हुए हैं। कुछ सरकार ने कराए हैं। कुछ राजस्थान में दधीचि समाज के लोगों के एक ट्रस्ट ने कराए हैं। सबके सामूहिक प्रयत्न से जो सुधार हो रहे हैं उससे यह एक दर्शनीय स्थल बनता जा रहा है।