Article : एक परिवार के 11 सदस्यों ने लिया है अंगदान का संकल्प

दिनांक 26 जनवरी 2025 को, भारत के 76 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर, मध्य प्रदेश के सतना जिले के एक परिवार के कई सदस्यों ने अंगदान का संकल्प लेकर एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया। यह ऐतिहासिक कदम सतना के एक स्थानीय समारोह में उठाया गया, जहां इस परिवार ने सामूहिक रूप से अपने अंगों को मृत्यु के बाद चिकित्सा उपयोग के लिए दान करने का निर्णय लिया।
मध्य प्रदेश के सतना जिले के डिगवानी परिवार ने अंगदान का संकल्प लेकर एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया। ।
डिगवानी परिवार सतना की एमराल्ड ग्रीन कॉलोनी में रहता है और समाज सेवा में सक्रिय रूप से भाग लेता रहा है। इस परिवार के तीन सदस्यों—मनोहर डिगवानी, नरेश डिगवानी और दीपा डिगवानी—ने पहले ही देहदान का संकल्प लिया था, जिसमें मनोहर ने 2017 में और नरेश व दीपा ने 2024 में यह निर्णय लिया था। दीपा डिगवानी ने अपने भाई को किडनी दान करके पहले भी अपनी सेवा भावना का परिचय दिया था। 26 जनवरी 2025 को, परिवार के अन्य आठ सदस्यों ने भी अंगदान का संकल्प लिया, जिससे कुल 11 सदस्य इस नेक कार्य से जुड़ गए।
परिवार की तीसरी पीढ़ी भी इस पहल से प्रेरित है। डिगवानी परिवार का मानना है कि मृत्यु के बाद भी उनके अंग जरूरतमंद लोगों के काम आ सकते हैं, जिससे दूसरों को जीवनदान मिल सके। उनकी यह पहल न केवल मेडिकल रिसर्च में सहायता करेगी, बल्कि समाज में अंगदान और देहदान के प्रति सकारात्मक सोच को बढ़ावा देगी।
इस परिवार का यह कदम अंगदान के क्षेत्र में सामाजिक जागरूकता और सामूहिक जिम्मेदारी का प्रतीक है। भारत में, जहां अंगदान की दर अभी भी प्रति दस लाख लोगों में केवल 0.26 है, ऐसे सामूहिक प्रयास समाज में गहरे बदलाव ला सकते हैं। यह घटना विशेष रूप से मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की 11 फरवरी 2025 की घोषणा के बाद और भी प्रासंगिक हो जाती है, जिसमें अंगदान करने वालों को राजकीय सम्मान देने की बात कही गई थी। इस परिवार ने गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर यह संकल्प लेकर इस नेक कार्य को एक देशभक्ति और मानवता से जोड़ दिया।
इस संकल्प का महत्व केवल व्यक्तिगत या पारिवारिक स्तर तक सीमित नहीं है। यह चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान, और अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में संसाधनों की कमी को दूर करने की दिशा में एक कदम है। सतना के इस परिवार ने दिखाया कि एकजुटता और साहस के साथ लिया गया निर्णय न केवल कई जिंदगियों को बचा सकता है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी प्रसारित कर सकता है। इस तरह की पहल अन्य परिवारों और समुदायों को भी प्रेरित कर सकती है, जिससे अंगदान की संस्कृति को और मजबूती मिलेगी। यह घटना निस्संदेह भावी पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनेगी और अंगदान को सामाजिक सम्मान का विषय बनाएगी।