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Vol. 18

Dadhichi Deh Dan Samiti,
W-99, Greater Kailash – I,
New Delhi 110048.

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अध्यक्ष की कलम से


’’देह-अंग दान का काम जीवन भर करेंगे’’

मैंने 8 मार्च, 1995 को, मृत्यु के बाद अपनी देह दान करने का संकल्प किया था। इसके लिए मैं रज़िस्ट्रार के दफ्तर गया और इस निश्चय की अपनी वसीयत रज़िस्टर करा दी।

मार्च 1995 में प्रसिद्ध समाजसेवी श्री नानाजी देशमुख ने बताया कि अपने 80वें जन्मदिन पर वह देह दान का संकल्प लेंगे। उन्होंने इस आयोजन की ज़िम्मेदारी हमको दी। नानाजी ने यह संकल्प 11 अक्टूबर, 1997 को किया।

नानाजी के इस पुण्य संकल्प से ही दधीचि देह दान समिति बनाने के निश्चय ने जन्म लिया। यह समिति उनके संकल्प कार्यक्रम के दिन से ही बन गई और इसका पंजीकरण 7 जनवरी, 1998 को हो गया।

समिति के साथियों ने इसके निर्माण के समय मुझे अध्यक्ष का दायित्व सौंपा था। अध्यक्ष के दायित्व पर अब लगभग 20 वर्ष पूरे हो गए हैं। इतने वर्षोंं में एक पीढ़ी बदल जाती है। प्रकृति का नियम है कि पुराने लोग पीछे हटें और नए लोगों के लिए मार्ग प्रशस्त करें। इस वर्ष मैं 65 वर्ष का हो रहा हूं। अब मुझे कानूनी तौर पर भी ’सीनियर सिटिज़न’ कहा जाएगा। पीढ़ी भी बदल गई, मेरी वय भी बढ़ गई। इसलिए मैंने संकल्प किया है कि अब समिति के अध्यक्ष के लिए नए कार्यकर्ता को आगे आना चाहिए। मैं अब अध्यक्ष नहीं रहूंगा। मैं पद छोड़ रहा हूं, काम नहीं। अब तक समिति के साथियों ने अध्यक्ष के नाते मुझे आगे रखा और साथ व पीछे रह कर काम किया। अब नए अध्यक्ष के नेतृत्व में उनके साथ और पीछे रह कर मैं समिति का काम करता रहूंगा।

मुझे संतोष है कि दधीचि देह दान समिति अब एक बड़ा संगठन बन चुकी है। इसमें काम करने वाले सभी समर्पित, योग्य और अनुभवी लोग हैं। सहजता से होने वाले इस परिवर्तन से देह-अंग दान के पुण्य प्रवाह को लेकर मैं कतई आशंकित नहीं हूं। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में समिति का काम और तेज़ गति से आगे बढ़ेगा। हम स्वस्थ्य-सबल भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं तथा इसे और आगे बढ़ाएंगे।

समिति के माध्यम से देह-अंग दान संकल्प यज्ञ में मैंने यथाशक्ति अपनी आहुति डाली है और मैंने अपने आप को यह वचन दिया है कि इसमें कभी भी रत्ती भर कमी नहीं आने दूंगा। मुझे यह प्रार्थना करनी है कि अपनी समिति का अध्यक्ष सार्वजनिक जीवन में बड़ा स्थान रखता है। अतः अपने होने वाले नए अध्यक्ष के प्रति आदर व सहयोग के साथ हम सब निरंतर काम करते रहें। यह भी विश्वास है कि मेरे प्रति आपका प्रेम व आशीर्वाद यथावत् ही रहेगा।

आलोक कुमार

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