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Vol. 6

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अध्यक्ष की कलम से

कोरी भावुकता नहीं व्यवहारिक करुणा महत्वपूर्ण है!

उम्र 47 वर्ष। काम आॅटो चलाना। नाम मैथ्यू अचदान। कोच्चि निवासी। उसका दिल एक गम्भीर बीमारी से एकदम बेकार हो चुका था और उसका जीवन बचाने के लिए दिल को बदलना ज़रूरी हो गया था। मैथ्यू कोच्चि के लीज़ी हाॅस्पिटल में भर्ती था।

दूसरी ओर तिरुअनंतपुरम के श्री चित्रातिरुनल इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज़ में भर्ती 46 साल के नीलकांडा शर्मा को, शुक्रवार 24 जुलाई को, डाॅक्टरों ने मस्तिष्क मृत (ब्रेन डेड) घोषित किया। कोच्चि और तिरुअनंतपुरम के अस्पतालों में आपसी सम्पर्क के कारण यह स्पष्ट था कि नीलकांडा का दिल कोच्चि में मैथ्यू का जीवन बचा सकता है। डाॅक्टरों ने नीलकांडा के परिवार से बात की और वह दिल को दान करने के लिए तैयार हो गए।

अब सवाल उठा कि चार घंटे के अंदर 200 किलोमीटर की दूरी तय करके नीलकांडा के दिल को कैसे कोच्चि तक पहुंचाया जाए? चिकित्सा की दृष्टि से चार घंटे के अंदर दानकर्ता के दिल को प्राप्तकर्ता के भीतर धड़कना शुरू कर देना चाहिए। और इसके बाद जो हुआ वह भारत का ऐसा पहला मामला बन गया कि देश के रक्षा तंत्र के एक अंग की पहल पर एक सामान्य इंसान का जीवन बचा लिया गया।

हुआ यह कि अर्नाकुलम के ज़िला अधिकारी ने शुक्रवार की सुबह ही नौसेना के पीआरओ से फोन पर बात की। समय के अंदर दिल को कोच्चि पहुंचाने के लिए उन्होंने उनसे नौसेना के चाॅपर की मदद देने का अनुरोध किया। नौसेना के अधिकारियों ने आपस में बात की। चाॅपर को कोच्चि पहुंचने में 90 मिनट लगते, जबकि डोर्नियर विमान को सिर्फ 35 मिनट। नौसेना ने ज़िला अधिकारी से कहा कि हम दिल डोर्नियर विमान से कोच्चि पहुंचा देंगे।

तिरुअनंतपुरम के चिकित्सकों ने तुरंत नीलकांडा के दिल को चिकित्सकीय रूप से सुरक्षित किया और उसे डोर्नियर की मदद से कोच्चि भेज दिया। उधर कोच्चि में एयरपोर्ट से लीज़ी हाॅस्पिटल का रास्ता काफी भीड़ वाला होता है। ऐसे में नगर प्रशासन ने 200 पुलिसकर्मियों की मदद से दिल के लिए अबाध रास्ता उपलब्ध कराया। दस किलोमीटर का रास्ता 8 मिनट 32 सेकेंड में तय कर लिया गया। लीज़ी हाॅस्पिटल के कार्डियोलाॅजिस्ट डाॅ. जो जोसेफ के अनुसार, दिल तिरुअनंतपुरम से शाम को 6 बज कर 10 मिनट पर चला था और नौसेना, कोच्चि में नगर प्रशासन एवं पुलिस की मदद से 8 बजे उसका मैथ्यू में प्रत्यारोपण शुरू हो गया। आॅप्रेशन सफल हुआ और नीलकांडा का दिल मैथ्यू के अंदर धड़कने लगा। मैथ्यू में नए दिल का प्रत्यारोपण डाॅ. जोस चोको पेरियापुरम के नेतृत्व में चार डाॅक्टरों की टीम ने किया।

यह घटना महत्वपूर्ण है। प्रत्येक जीवन महत्वपूर्ण है। केवल अतिविशिष्ट व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक आॅटो चालक का जीवन भी इतना महत्वपूर्ण है कि सुरक्षा बल, नागरिक प्रशासन, बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी और चिकित्सातंत्र उसे बचाने में जुट जाए।

यह मानवीय गरिमा का सम्मान है। अपने प्रियजन के धड़कते हृदय का दान करने वाले परिवार ने कोरी भावुकता से ऊपर उठ कर व्यवहारिक करुणा को दर्शाया है। उनका प्रियजन तो गया, पर उसका हृदय धड़क रहा है।

हर साल कितनी आंखें और प्रत्यारोपण हो सकने वाले कितने ही अन्य अंग चिता में भस्म हो जाते हैं, या कब्र में दफन। भगवान करे नीलकांडा शर्मा के परिवार की करुणा हम सब को प्राप्त हो, सामथ्र्य भी।

आइए! स्वस्थ-सबल भारत का निर्माण करें।

 आलोक कुमार

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